एनसीपी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने की बिहार के जाति सर्वेक्षण की सराहना

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(www.arya-tv.com) शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने बिहार सरकार के जाति सर्वेक्षण की सराहना की। साथ ही मांग की है कि जाति सर्वेक्षण महाराष्ट्र सहित देश के सभी राज्यों में किया जाना चाहिए। ठाणे जिले के मुंब्रा-कलवा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य ने सोमवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा कर यह मांग की।

उन्होंने कहा कि बिहार ने बहादुरी से एक कदम आगे बढ़ाया है। इसने जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया। अब आप सोच रहे इससे क्या सच्चाई सामने आई? तो इसमें पता चला है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी 61 प्रतिशत है। जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी यहां की कुल आबादी का 85 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, ‘बिहार में जो सच सामने आया वह पूरे भारत का सच है। इसलिए हमने हमेशा मांग की है कि कम से कम जातिवार जनसंख्या के सटीक आंकड़े सामने लाए जाएं। आज ओबीसी से सब कुछ छीना जा रहा है।’

आव्हाड ने सवाल किया कि अगर हम यह भी मान लें कि ओबीसी की आबादी केवल 50 प्रतिशत है तो उन्हें आरक्षण से वंचित क्यों किया जा रहा है? उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा वह सच है। उन्होंने कहा था कि जिसकी जितनी अधिक संख्या होगी, हिस्सा उतना ही अधिक होगा।

एनसीपी नेता ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी कहा था कि ओबीसी सबसे पिछड़े हैं और इसलिए उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के जाति सर्वेक्षण की सच्चाई को सार्वजनिक होने से रोकने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि बिहार ने जो किया है, उसे महाराष्ट्र सहित अन्य सभी राज्यों को भी करना चाहिए। बिहार ने रास्ता दिखाया है। आपके अधिकार छीने जा रहे हैं, इसलिए लोगों को जागना होगा।

आव्हाड ने कहा कि यदि पिछड़े वर्गों (ओबीसी, एससी और एसटी सहित) की कुल आबादी 80 से 84 प्रतिशत है, तो आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित करना उनके साथ अन्याय करने जैसा है।

उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानमंडल ने जाति आधारित जनगणना के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसका तत्कालीन विपक्ष के नेता और अब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समर्थन किया था। इसलिए सभी को एक साथ आना चाहिए और महाराष्ट्र में जाति आधारित जनगणना शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर यह सरकार कहती है कि वह गरीबों और आम लोगों के लिए काम करती है तो उसे इसे हकीकत में बदलना चाहिए।

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने 2024 के संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले अपने बहुप्रतीक्षित जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष सोमवार को जारी किए। आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ से थोड़ी अधिक है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग था, जिसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत था।