(www.arya-tv.com)बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग, गृह विज्ञान विद्यापीठ की ओर से “समग्र कल्याण : मन, शरीर और आत्मा का एकीकरण” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय की हैप्पी थिंकिंग लैबोरेटरी की संस्थापक निदेशक एवं तकनीकी विशेषज्ञ प्रो० मधुरिमा प्रधान मौजूद रहीं। इसके अतिरिक्त मंच पर डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो० एस० विक्टर बाबू, गृह विज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष एवं कांफ्रेंस की चेयरपर्सन प्रो० यू० वी० किरण, इनोवेशन फॉर चेंज एनजीओ के अध्यक्ष हर्षित सिंह , कांफ्रेंस समन्वयक डॉ० शालिनी अग्रवाल एवं आयोजन सचिव डॉ० के० शर्मिला उपस्थित रहीं। साथ ही योगासन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड काउंसिल के फाउंडर एवं सीईओ आचार्य यश पाराशर ऑनलाइन माध्यम से सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके पश्चात आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि एवं मंच पर उपस्थित शिक्षकों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम प्रो० यू० वी० किरण ने सभी से अतिथियों का परिचय कराया। इसके पश्चात डॉ० शालिनी अग्रवाल ने कांफ्रेंस की रुपरेखा एवं उद्देश्यों से संबंधित जानकारी दी।
लखनऊ विश्वविद्यालय की हैप्पी थिंकिंग लैबोरेटरी की संस्थापक निदेशक एवं तकनीकी विशेषज्ञ प्रो० मधुरिमा प्रधान ने सभी को संबोधित करते हुए कहा , प्रकृति हमें सिखाती है कि कैसे सभी चीजें आपस में एक- दूसरे से जुड़ी हुई है। हम हमारे मस्तिष्क पर नियंत्रण करके जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी ओर भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्म राष्ट्रीय एकता और अखंडता की श्रेणी में रहते हुए हमें पूर्णता को प्राप्त करने की शिक्षा देता है।
योगासन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड काउंसिल के फाउंडर एवं सीईओ आचार्य यश पाराशर ने चर्चा के दौरान कहा, कि तकनीकी के इस युग में अगर हम भारत को विश्व के साथ जोड़ना चाहते हैं, तो हमें वैश्विक स्तर पर कार्य करना होगा। इसके अतिरिक्त जब हम सार्वभौमिक रूप से कार्य करते हैं तो तभी समग्र कल्याण की भावना जाग्रत होती है I योग का हमारे जीवन में महत्पूर्ण योगदान है, ये हमें विभिन्न मापदंडों पर चलना सिखाता है I
इनोवेशन फॉर चेंज एनजीओ के अध्यक्ष हर्षित सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा, कि हमें समग्र कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक- दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा, तभी हम समाज में अपना योगदान दे सकेंगे। इसके अतिरिक्त युवाओं को सही और गलत की पहचान करके अपनी ताकत एवं ऊर्जा सही दिशा में लगानी होगी, तभी ही वास्तविक रूप से देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ० के० शर्मिला ने किया।
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में अतिथि के रूप में आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय संकाय श्रीमती अंजलि सेठ एवं युवा स्वास्थ्य एवं योग ट्रेनर डॉ० श्वेता उपाध्याय विषय विशेषज्ञ के तौर पर मौजूद रहीं। श्रीमती अंजलि सेठ ने सभी को सूक्ष्म ध्यान का प्रयास करवाते हुए हमारे शरीर में उपस्थित चक्रो और उनकी महत्ता से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। इसके अतिरिक्त डॉ० श्वेता उपाध्याय ने सुदर्शन क्रिया के बारे में बताया और प्रतिभागियों द्वारा ध्यान, योग आदि से संबंधित पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दिया। अंत में पोस्टर प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। विभाग द्वारा आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में शिवानी सिंह ने प्रथम, जीनत अमान ने द्वितीय एवं शिवांगी सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
संगोष्ठी के दौरान प्रो० नवीन कुमार अरोरा, प्रो० प्रीति सक्सेना, प्रो० संगीता सक्सेना, प्रो० दिनेश राज मोदी, डॉ० नीतू सिंह, डॉ० प्रियंका संकर, डॉ० माधवी डेनियल , विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी, शोधार्थी एवं विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।