युवाओं में वास्तविक विकास की पहचान कराना विकासार्थ विद्यार्थी (SFD) की नैतिक जिम्मेदारी : प्रो.शीला मिश्रा

Lucknow

(www.arya-tv.com)अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बी.एस. वी. पी. जी. कॉलेज चारबाग, लखनऊ इकाई द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की पूर्व संध्या पर विकासार्थ विद्यार्थी और कॉलेज की एन.एस.एस यूनिट के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय ज्ञान परंपरा में विज्ञान और पर्यावरण विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विशिष्ट अतिथि के रूप में आशीष तिवारी, सचिव वन पर्यावरण एवं मौसम परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. आलोक धवन, निदेशक सेंटर ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च, सी.बी.एम.आर मुख्य वक्ता प्रो. शीला मिश्रा, अध्यक्ष विज्ञान संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय, कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय मिश्रा प्रो.नरेंद्र अवस्थी, एसएफडी के प्रांत प्रमुख डॉ. इंद्रेश शुक्ला उपस्थित रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर, ज्ञान की देवी मां सरस्वती, युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया ।

इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि आशीष तिवारी जी ने अपने विद्यार्थी जीवन के संकटों, और अनुभवों, को साझा करते हुए बताया कि गुरुजनों के सकारत्मक मार्गदर्शन से ही जीवन के उच्च शिखर पहुंचा जाता है । उन्होंने बताया कि जो जैव विविधता भारत के पर्यावरण में पाई जाती है वह अन्य किसी और देश में नहीं पाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि देश की युवाओं को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पाद और मॉडलिंग में रोजगार के बहुत सारे अवसर हैं हमको अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ सर्कुलर इकोनामी हीट एनवेलप,ऊर्जा संरक्षण,और ऊर्जा दक्षता जैसे पाठ्यक्रमों और उनकी तकनीक को पढ़ना और समझना चाहिए।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ शीला मिश्रा ने बताया विकास के नाम पर केवल कंक्रीट, इमारतें, सड़के, उपकरण, और गति ही नहीं चाहिए विकास के नाम पर ऐसा विकसित मस्तिष्क चाहिए जो अपने जीवन में हमें क्या सकारात्मक करना चाहिए इसका निर्धारण भी करा सके, उन्होंने यह भी बताया आज विश्व में जो युद्ध दिखाई दे रहे हैं उनके पीछे हथियार ही हैं जो किसी न किसी प्रयोगशाला से ही बने हैं,अगर इनके साथ संतुलित मस्तिष्क नहीं रहेगा तो इसका प्रयोग मानवता के नाश के लिए अधिक किया जाएगा इसका सीधा अर्थ है कि हमें विज्ञान के साथ-साथ आंतरिक मन पर संतुलन भी रखना चाहिए जो हमे भारतीय अध्यात्म से प्राप्त होगा।

साथ ही साथ उन्होंने बताया कि आज देश के बड़े-बड़े शहरों में प्रत्येक घंटे में कोई ना कोई एक छात्र या छात्रा अपने जीवन से हार मानकर आत्महत्या कर ले रहे हैं ये कैसी व्यवस्था और कैसा विकास है हमें इसे समझने की जरूरत है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वैज्ञानिक डॉ.आलोक धवन ने बताया कि मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वोच्च है क्योंकि हम सवाल कर सकते हैं नई खोज कर सकते हैं, हमारी इंद्रियों का मोरफ़ोलॉजी प्रश्न वाचक चिन्ह के जैसा है क्योंकि हमारे अंदर क्वेश्चन पूछने की क्षमता है जो दूसरे प्राणियों में नहीं होती है,उन्होंने बताया कि भारतीय परंपरा में हम नदी, पर्वत,भूमि, जंगल सभी की पूजा करते हैं जिसका आशय यह है कि इन सभी के संरक्षण से ही मनुष्य के जीवन का संरक्षण है।
डॉ.नरेंद्र अवस्थी जी ने सभी आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, विद्यार्थियो के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामनाएं की। कार्यक्रम का संचालन SFD के कार्यकर्त्ता रमाकांत ने किया।

कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ.संजीव शुक्ल, डॉ.गोविंद मिश्र, डॉ.जय प्रताप सिंह, डॉ.राजीव दीक्षित, डॉ.जयशंकर पांडेय, डॉ. प्रणव मिश्र, अनुज श्रीवास्तव, रजत, NSS के सभी कार्यक्रम अधिकारी और स्वयं सेवक उपस्थित रहे ।