दर्शन मात्र से मिल जाती है मुक्ति:अयोध्या में माता पार्वती ने धूनी रमा पर की थी तपस्या

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(www.arya-tv.com) रामनगरी अयोध्या में मां का एक ऐसा दरबार है, जहां फर्जी मुकदमों से परेशान भक्तों मां के दर्शन पूजन करने मात्र से छुटकारा मिल जाता है। यहां नवरात्रों में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भक्त मां के दर्शन पूजन के लिए आते है। इस पवित्र स्थान को मां जापला देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है। भक्त इनकी बंदी देवी के रूप में भी पूजन करते है।

51 शक्ति पीठों की श्रीराम जन्मभूमि पश्चिम में दो किमी दूर पंच कोसी परिक्रमा मार्ग की परिधि में स्थित सिद्धपीठ जालपा देवी मंदिर स्थापित है। यह शक्ति उपासना का मुख्य केंद्र है। मान्यता है कि मां शक्ति का यह पूर्ण शक्ति पीठ है। इन्हें बंदी देवी के रूप में भी जाना जाता है।

भगवान राम की परात्पर सत्ता पर संदेह करने के कारण भगवान शिव ने माता सती का परित्याग कर दिया। परित्यक्त सती ने अपने पिता के घर लौटने से पूर्व रामनगरी की दहलीज पर स्थित इस मनोरम स्थल पर धूनी रमा तपस्या की। मां का अनादि पदचिह्न आज भी गर्भगृह में विद्यमान है।

श्रद्धालु पुष्पा बताती हैं कि, इस मंदिर में दर्शन पूजन करने से जो भी मनोकामना मांगी जाती है। वह सब पूर्ण होता है। इनकी मान्यता बहुत अधिक है। इसलिए हम लोग दूर-दूर से यहां दर्शन पूजन करने आते हैं। फर्जी कामों की मुक्ति के लिए हम लोग यहां आते हैं। हमारी सभी मुरादों को माता रानी पूरा करती हैं। वहीं श्रद्धालु सुरेखा गुप्ता बताती हैं कि, हमारे लिए मां का दर्शन-पूजन करना काफी लाभकारी रहता है।

मां की आराधना से जंजाल से मिलती है मुक्ति

अयोध्या धाम और अयोध्या शहर मार्ग पर स्थित मां जालपा देवी मंदिर में भक्तों का तांता लगता रहता है। नवरात्रि में भीड़ बढ़ जाती है। जो भक्त मां का दर्शन पूजन करता है। उसे जीवन जंजाल और मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता है। इसी महिमा के आधार पर मां को जालपा देवी यानी जाल-जंजाल से निजात दिलाने वाली देवी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में देवी भक्त मां का दर्शन करने के लिए देश- विदेश से भी लोग आते है। सिद्धपीठ होने के कारण यहां प्रत्येक व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है।

बंदी देवी रूप विराजमान

मां जालपा देवी मंदिर को बंदी देवी के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि यदि कोई किसी बंधन में फंसा हुआ है, तो मां के चरणों में खुद को समर्पित कर दें। मां खुद भक्त को सभी बंधनों से मुक्त कर देती हैं। मंदिर के पुजारी शुभम चतुर्वेदी बताते है कि “जो लोग बंधन में बंधे होते हैं, उनको भी मां के दर्शन से मुक्ति मिल जाती है। नवरात्रि के बाद यहां मंगलवार को दर्शन का विशेष महत्व है। प्रधान पुजारी ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बजरंगबली मंगलवार को मां के दर्शन करने के लिए आते हैं।