लखनऊ। नगर निगम के जोन 7 में मंगलवार को लोकमंगल दिवस पर ढिशुम ढिशुम होने की नौबत आ गई। बीच बचाव के लिए खुद नगर आयुक्त को मोर्चा संभालना पड़ा तब जाकर विवाद शांत हुआ। दरअसल बाबू जगजीवन वार्ड के पार्षद भृगुनाथ शुक्ला और एक शिकायतकर्ता के बीच में कहासुनी हो गई। देखते देखते ये मामला इतना तूल पकड़ने लगा कि खुद नगर आयुक्त को सुलह करानी पड़ी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल नगर निगम के जोन 7 में मंगलवार को लोकमंगल दिवस था। इस दौरान महापौर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी स्थानीय पार्षद समेत कई कर्मचारी और शिकायतकर्ता मौके पर मौजूद थे। अभी सुनवाई शुरू ही हुई थी कि पेशे से वकील संतोष पाण्डेय अपने गनर के साथ शिकायत लेकर पहुंच गए।
क्या थी शिकायत
संतोष पाण्डेय का आरोप था कि कई बार शिकायत के बावजूद भी आवारा जानवरों को निगम के कर्मचारियों और अफसरों ने नहीं पकड़ा। इससे तमाम घटनाओं के साथ आम लोगों को परेशानियां हो रही हैं।
इस दौरान संतोष पाण्डेय आक्रोशित हो गए तो पार्षद भृगुनाथ शुक्ला ने संतोष के बातचीत के तरीके पर आपत्ति की। इस पर संतोष ने कहा कि आपसे क्या मतलब है। पार्षद को यह बात नागवार गुजरी। दोनों ने इतनी सी बात को स्वाभिमान से ले लिया। फिर क्या था फरी सभा में दोनों गंदी गंदी गालियां देने लगे। नौबत हाथापाई तक पहुंच गई तो मौजूद कर्मचारियों ने वकील साहब को पकडक़र कार्यालय से बाहर कर दिया।
थोड़ी देर बाद वकील संतोष पाण्डेय फिर आ गए और विवाद और गहरा हो गया। मामला बढ़ता देख नगर आयुक्त ने वकील संतोष पाण्डेय को शांत कराया। इस दौरान महापौर संयुक्ता भाटिया भी मौजूद थीं।