लखनऊ (www.arya-tv.com) मोहनलालगंज के राम निवास ने इस वित्तीय वर्ष में तीन से चार लाख रुपये का गेहूं और धान विक्रय केंद्र पर बेचा। इसके बावजूद वह राशन कार्ड पर सरकारी राशन उठा रहे थे। राम निवास की तरह ही करीब 135 ऐसे राशन कार्ड धारक चिह्नित किए गए हैं जो लखपति होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ उठा रहे थे। लखनऊ के जिलापूर्ति अधिकारी सुनील सिंह का कहना है कि एनआइसी में वर्ष 2020-21 मेंं करीब 135 किसान ऐसे मिले हैं, जिन्होंने एमएसपी पर तीन से चार लाख रुपये का गेहूं बेचा है। सबसे अधिक अपात्र राशन कार्ड धारक मोहनलालगंज में मिले हैं, जिनको खारिज कर दिया गया है।
दरअसल, इन किसानों के आधार कार्ड लिंक होने के कारण एनआइसी ने संबंधित जिलों के ऐसे किसानों को चिह्नित कर लिया, जिन्होंने गेहूं और धान को क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचा था। शाहजहांपुर में सबसे अधिक करीब चार हजार ऐसे किसान मिले हैं जो लखपति होने के बावजूद राशन ले रहे थे। जिलापूर्ति अधिकारी का कहना है कि सभी राशन कार्ड धारकों का कार्ड रद कर दिया गया है। बाकी जगहों पर भी जांच हो रही है। जो भी खाद्य सुरक्षा के दायरे में नहीं मिलेगा, उसको योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
क्या है नियमः राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन कार्ड धारकों के चयन और निष्कासन के नियम तय हैं। ग्रामीण क्षेत्र में निष्कासन आधार के तहत ऐसे परिवार जिनके पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित जमीन या ऐसे लोग जिनकी आय दो लाख सालाना से अधिक है, उनको सस्ते राशन का लाभ नहीं दिया जा सकता।