क्रिप्टो करेंसी और Dark Web का जानिए क्या है काला सच

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(www.arya-tv.com) आर्य टीवी के मंच पर हमारे विशेष संवाददाता विशाल सक्सेना की स्पेशल रिपोर्ट। आज की स्पेशल स्टोरी में होगी चर्चा क्रिप्टो करेंसी और डार्क वेब की दुनिया पर। यह क्या है और कैसे काम करती है और क्यों सरकार इस पर पाबंदी नहीं लगा पा रही है।

दोस्तों, जैसे ही आप क्रिप्टो करेंसी और डार्क वेब के बारे में सुनते हैं आप सभी के मन में बहुत सारे सवाल उठते हैं क्रिप्टो करेंसी क्या है और डार्क वेब में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा क्यों होता है, आइए आज की इस एक्सक्लूसिव स्टोरी में इन्हीं पर से पर्दा उठाते हैं।

क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का एक माध्यम है जो डिजिटल, एन्क्रिप्टेड और decentralized है। अमेरिकी डॉलर या यूरो की तरह, कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है जो क्रिप्टो करेंसी की वैल्यू को मैनेज और मेंटेन करे। इसको व्यापक रूप से इंटरनेट के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी के उपयोगकर्ताओं के बीच वितरित किया जाता है।

इंटरनेट एक ऐसी दुनिया है जहां पर सब कुछ मिलता है, सब कुछ से मतलब वह भी जिस पर सरकार ने पाबंदी लगा रखी है, हम बात कर रहे हैं इंटरनेट की उस अंधेरी दुनिया की जिसको डार्क वेब कहते हैं।

डार्क वेब एक ऐसी दुनिया है जहां पर सारे गैरकानूनी कामों को बिना किसी रोक-टोक के खुलेआम किया जाता है चाहे वह जंगली जानवरों के पार्ट्स बेचने हो, ड्रग्स बेचने हो या फिर गैर कानूनी हथियार। आज हम आपको ऐसे ही 14 बातें बताएंगे जिसको सुनकर आप स्तब्ध रह जाएंगे।

1. अगर आप गूगल पर सर्च करेंगे How to visit dark web तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी क्योंकि डार्क वेब इंटरनेट का एक ऐसा प्राइवेट हिस्सा है जहां पहुंचना सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं बल्कि इंटेलिजेंस एजेंसियों के लिए भी पहुंचना बहुत मुश्किल है। डार्क वेब की गैर कानूनी वेबसाइट को विजिट करने का सिर्फ एक ही तरीका है कि आप पहले से किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हो जिसके पास इन वेबसाइट्स का एक्सेस हो, उसी के माध्यम से ही आप Darkweb की वेबसाइट्स तक पहुंच सकते हैं।

2. डार्क वेब पर मौजूद किसी भी वेबसाइट को नॉर्मल ब्राउजर जैसे गूगल क्रोम, फायर फॉक्स और ओपेरा से एक्सेस नहीं किया जा सकता क्योंकि इन ब्राउजर की एक्टिविटी आसानी से ट्रैक हो जाती है इसलिए डार्क वेब यूजर्स इन स्टैंडर्ड ब्राउजर की जगह Tor, I2P और freenet, refel जैसे ब्राउज़र का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह ब्राउज़र सेंसर रेसिस्टेंट है और peer to peer टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं इसलिए इनकी एक्टिविटी को ट्रैक कर पाना almost impossible होता है। और बड़ी बात यह है कि इन सॉफ्टवेयर को बड़ी आसानी से नॉर्मल कंप्यूटर्स में स्टाल करके एक्सेस किया जा सकता है।

3. डार्क वेब पर किसी की भी पर्सनल इंफॉर्मेशन नहीं होती है जैसे ईमेल आईडी, नाम, टेलीफोन नंबर, उम्र आदि सब anonymeous होते हैं। यहां तक की फंडिंग भी गुमनाम रूप से ही की जाती है और लेन देन के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि क्रिप्टो करेंसी एक डिसेंट्रलाइज करेंसी होती है जो ब्लॉकचेन नाम की बेहद मजबूत और सिक्योर टेक्नोलॉजी पर काम करती है। कोई भी दूसरा पेमेंट का माध्यम गवर्नमेंट द्वारा ट्रैक किया जा सकता है इसलिए यहां क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है।

4. डार्क वेब में दो लोगों के बीच में होने वाला कम्युनिकेशन बिल्कुल सिक्योर होता है, जब एक यूजर कोई मैसेज दूसरे यूजर को भेजता है तो उस मैसेज के ऊपर इंक्रिप्शन की कई लेयर बन जाती हैं जिससे हैकर्स को मैसेज को read कर पाना इंपॉसिबल हो जाता है, इसके बाद जैसे-जैसे यह मैसेज एक–एक राउटर से गुजरता है वैसे–वैसे इंक्रिप्शन की एक–एक लेयर हटती जाती है और लास्ट में यह मैसेज अपनी ओरिजिनल फॉर्म में डेस्टिनेशन का पहुंच जाता है। टेक्नोलॉजी की भाषा में इसको ओनियन राउटिंग (Onion Routing) कहते हैं।

5. इस बात में कोई शक नहीं कि डार्क वेब एक बेहद ही सिक्योर नेटवर्क है इसके बाद भी पता लगने पर गवर्नमेंट ऑफिशल्स समय-समय पर डार्क वेब की वेबसाइट्स को बैन करते रहते हैं यह कोई नहीं जानता कि कौन सी वेबसाइट के बंद होने का नंबर कब आएगा इसलिए डार्क वेब पर मौजूद वेबसाइट को सेफ नहीं माना जाता। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 55000 वेबसाइट ऐसी हैं जो dot onion domain का इस्तेमाल करती हैं और उसमें से लगभग 8400 वेबसाइट ही ऐसी हैं जो अभी एक्टिव है।

6. काफी समय पहले डार्क वेब पर सिल्क रोड नाम की वेबसाइट होती थी जिसमें गैरकानूनी हथियार और ड्रग्स ऑनलाइन बेचे जाते थे और इस पर अकाउंट बनाने के लिए भी अच्छे खासे पैसे लगते थे इसके बावजूद भी रजिस्टर्ड यूजर की गिनती एक लाख से ऊपर पहुंच गई और लगभग 2 साल तक इस वेबसाइट पर गैरकानूनी चीजें बेची जाती रही। पता लगने पर इस वेबसाइट को ट्रैक कर FBI द्वारा बंद कर दिया गया और इसके साथ ही इसके फाउंडर को भी गिरफ्तार कर लिया गया जो आज भी उम्र कैद की सजा काट रहा है।

7. डार्क वेब पर सबसे ज्यादा बिकने वाली चीज, लोगों के क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स है यहां सैकड़ों कार्ड की डिटेल्स एक साथ बल्क में बेची जाती है। इनको बेचने के लिए ऑक्शन रखा जाता है जहां सबसे ऊंची बोली लगाने वाले व्यक्ति को यह डाटा बेच दिया जाता है। वैसे इसमें ज्यादातर कार्ड पहले से ही कैंसिल होते हैं पर साथ ही कुछ कार्ड वर्किंग कंडीशन में भी पाए जाते हैं और उन्हीं कार्ड से फ्रॉड ट्रांजैक्शन करके लोग पैसा कमाते हैं।

8. एक और चीज जो सबसे ज्यादा डार्क वेब पर बेची जाती है वह है लोगों का पहचान कार्ड और उनकी डिटेल्स, अमेरिका में हर एक व्यक्ति का एक यूनिक सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है जो उस व्यक्ति का आईडेंटिटी माना जाता है। ऐसे में जिन भी व्यक्तियों का क्रेडिट स्कोर 750 प्लस होता है ऐसे लोगों का सोशल आईडेंटिटी नंबर चोरी करके डार्क वेब पर बेच दिए जाता है क्योंकि इस नंबर और डिटेल्स के जरिए बैंक से अच्छा खासा लोन बड़ी आसानी से मिल जाता है।

9. डार्क वेब पर क्रेडिट कार्ड की डिटेल के अलावा OTT प्लेटफार्म Netflix और Amazon का सब्सक्रिप्शन भी बेचा जाता है क्योंकि यह सब्सक्रिप्शन चोरी किए हुए क्रेडिट कार्ड से खरीदे जाते हैं इसलिए यहां से खरीदा हुआ सब्सक्रिप्शन उसकी असल कीमत से काफी कम दामों में मिल जाता है।

10. डार्क वेब पर कुछ ऐसी भी चीजें बेची जाती है जिसको आप दुनिया में कहीं और से नहीं खरीद सकते जैसे कि एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जो चीन में डार्क वेब पर देखने को मिली थी, असल में यह डिवाइस एक पोर्टेबल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जेनेटर थी जो अपने आसपास मौजूद किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को नष्ट करने की पावर रखती थी। इस तरह के डिवाइस का उपयोग कई तरह के गलत कामों में किया जा सकता है इसलिए ज्यादातर देशों में इस तरह की डिवाइस को बनाना और बेचना पूरी तरह से गैरकानूनी है।

11. इसके साथ ही डार्क वेब पर bit coin लॉटरी स्कीम भी चलाई जाती हैं जिसके लिए पार्टिसिपेंट को बिटकॉइन से एक गोल्डन टिकट खरीदना होता है, इसके बाद लक के बेसिस पर भाग लेने वाले सभी लोगों में से एक लकी विनर चुना जाता है और इनाम के रूप में उस व्यक्ति को एक जैकपोट प्राइज मिलता है जोकि बिटकॉइन या किसी दूसरी क्रिप्टो करेंसी में दिया जाता है।

12. बहुत से लोग नौकरी तो करना चाहते हैं परंतु डिग्री ना होने के कारण उनको नौकरी नहीं मिलती। ऐसे लोगों की समस्या को दूर करने के लिए डार्क वेब पर किसी भी मनपसंद यूनिवर्सिटी या कॉलेज की फेक डिग्री या डिप्लोमा बनाने का काम बहुत ही धड़ल्ले से किया जाता है और कुछ ही दिनों में लोगों के डिमांड के अनुसार फेक डिग्री या डिप्लोमा बनाकर दे दिया जाता है।

13. आप सभी ने फिल्मों में ऐसा मास्क तो देखा ही होगा जिसको लगाने से इंसान का चेहरा बदल जाता है असल दुनिया में इस तरीके के मास्क बनाना और बेचना गैर कानूनी है। परंतु इस तरह के मास्क डार्क वेब पर खुलेआम बेचे जाते हैं।

14. डार्क वेब पर जंगली जानवरों को बेचने का काम कई सालो से रहा है यहां पर शेर, चीता, मगरमच्छ, बेबी गोरिल्ला जैसे बहुत से अलग अलग जानवरों को खरीद सकते हैं। इसके अलावा जंगली जानवर के बॉडी पार्ट्स जैसे भालू के पंजे, हाथी दांत, गेंडे का सींग आसानी से मिल जाते हैं।

दोस्तों अगर आप डार्क वेब को गूगल या अन्य किसी ब्राउज़र पर एक्सेस करना चाह रहे हैं तो आपको बता दें ऐसा करना आपके लिए जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि ऐसा करने पर आपको कभी भी ट्रैक किया जा सकता है तो कृपया इस तरह के काम ना करें।