(www.arya-tv.com) अदालतों के चक्कर काट-काट कर आम लोगों को हो रही परेशानी का हवाला देते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने जजों के एक साथ छुट्टी पर जाने से परहेज करने की सिफारिश की है। समिति ने सिफारिश की है कि जजों का एक साथ डेढ़ महीने की छुट्टी पर जाना ठीक नहीं है। समिति ने कहा है कि जज एक साथ छुट्टी पर जाने की बजाय अलग-अलग समय पर छुट्टी लें।
इसके साथ-साथ समिति ने जजों की ओर से संपत्ति का खुलासा करने की भी सिफारिश की है।सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित संसद की स्थायी समिति का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की गर्मी और सर्दी की लंबी छुट्टियों के कारण इन अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे में दिक्कतें आती है।
दरअसल, अंग्रेजो के समय से गर्मी और सर्दियों में जजों के छुट्टी पर जाने की परंपरा चली आ रही है। सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां मई के मध्य में शुरू होती है और जून के अंत तक रहती है। साथ ही सर्दियों में भी दो हफ्ते की छुट्टियां रहती है। इसके अलावा दशहरा और दीवाली के दौरान भी एक-एक हफ्ते की छुट्टी रहती है।
करीब 69000 हजार मामले लंबित
संसद के इसी मानसून सत्र में एक लिखित जवाब में सरकार ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 69000 हजार मामले लंबित है तो वही हाई कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 59 लाख से ज्यादा है। हालांकि समिति ने कहा कि कोर्ट में लंबित मामले की बड़ी संख्या के पीछे वजह सिर्फ छुट्टी नहीं, वैकेंसी भी है। अभी कुछ हाई कोर्ट में 30 फीसदी वैकेंसी है तो वहीं कई मामलों में ये वैकेंसी 40 से 50 फीसदी तक है।
रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की भी सिफारिश
इसलिए समिति ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढाए जाने की सिफारिश भी की है. समिति ने कहा है कि जजों के लिए अप्रेजल सिस्टम लागू हो और जजों की हेल्थ, जजमेंट की क्वालिटी जैसे आधार पर उनका रिटायरमेंट तय हो, साथ ही रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति में भेदभाव ना हो।
समिति ने जजों द्वारा अपनी संपत्ति का खुलासा करने की भी सिफारिश भी अपनी रिपोर्ट में की है। समिति ने कहा है कि जज अपने एसेट और लायबलिटी का सालाना रिटर्न दाखिल करें। समिति ने तो यहां तक कहा है कि सरकार कानून बनाकर जजों की संपत्ति का खुलासा करना अनिवार्य करे।