(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अजय राय के उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के कई तरह के सियासी अर्थ लगाए जा रहे हैं। अजय राय ने बृजलाल खाबरी की जगह ली है, जिन्हें यूपी विधानसभा चुनाव के बाद और निकाय चुनाव से पहले प्रदेश में कांग्रेस की बागडोर सौंपी गई थी। खाबरी प्रियंका गांधी के खेमे के माने जाते हैं। ऐसे में खाबरी की जगह अजय राय की नियुक्ति का संदेश यही समझ आता है कि यूपी कांग्रेस में प्रियंका गांधी का दबदबा कुछ कमजोर होगा। तमाम लोगों का यह मानना है कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पर अजय राय का प्रवेश प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी के प्रभाव के प्रस्थान और पार्टी में बड़े बदलावों की भूमिका हो सकती है।
साल 2022 के विधानसभा चुनावों को याद करें तो इसके लिए प्रियंका गांधी ने जोर-शोर से प्रदेश में कांग्रेस के लिए अभियान चलाया था। वह पार्टी का महासचिव होने के अलावा उत्तर प्रदेश की प्रभारी भी बनाई गई थीं। तमाम प्रयासों के बावजूद वह कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो सीटों पर ही जीत दिला पाईं। इसके बाद से ही प्रदेश की सियासत से लगातार नदारद रहीं। इतना ही नहीं, चुनावों में खराब प्रदर्शन पर गाज भी गिरी तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर, जिन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद दलित नेता बृजलाल खाबरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। खाबरी प्रियंका के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में अनुपस्थिति के बाद भी पार्टी मुख्यालय में प्रियंका गांधी का दबदबा बरकरार रहा, लेकिन अब सिर्फ 10 महीने में ही खाबरी को हटाकर अजय राय को प्रदेश की कमान सौंपने के पीछे कांग्रेस में बदलावों के एक लंबे सिलसिले की आहट सुनाई देती है। माना जा रहा है कि यह टीम प्रियंका की यूपी से विदाई की पूर्वपीठिका है।
हालांकि, यूपीसीसी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अजय राय के नाम पर मुहर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की सहमति से लगाई थी। ऐसे में 24 अगस्त को जब वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करेंगे तो साफ हो जाएगा कि उन्हें अध्यक्ष बनाने में कांग्रेस का कौन सा खेमा प्रभावशाली रहा। जाहिर है कि राय को पार्टी के भीतर जिसका समर्थन मिला होगा, वह मंच पर उनके साथ दिखाई देंगे।
बताया जाता है कि अजय राय के पूर्ववर्ती अध्यक्षों बृजलाल खाबरी और अजय कुमार लल्लू को पार्टी के भीतर अपने निर्णय लेने की खुली छूट नहीं थी। यही कारण था कि नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए आलाकमान ने कई दिग्गज नेताओं से संपर्क किया लेकिन ज्यादातर ने इसके लिए मना कर दिया। अब अजय राय इस मामले में एक अपवाद हो सकते हैं क्योंकि वह कांग्रेस में एक मजबूत, आक्रामक और भूमिहार नेता के तौर पर जाने जाते हैं।
पार्टी के लोगों का मानना है कि वह अपने पूर्ववर्तियों की तरह शिथिल नहीं होंगे। उन पर आलाकमान की ओर से किसी भी तरह का दबाव बनाने की कोशिश किसी अप्रिय संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर सकती है, जिससे कांग्रेस साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले बचना चाहेगी। पार्टी के भीतर कई लोगों का मानना है कि अजय राय लंबे समय बाद प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष पद का मजबूत चेहरा होंगे।
ऐसे में सभी को पार्टी में नए बदलावों का बेसब्री से इंतजार है। अजय राय की नियुक्ति ही पार्टी में बड़े परिवर्तन की ओर संकेत करती है।एक नेता कहते हैं कि अजय राय दिग्विजय सिंह की पसंद हैं और उनके काम करने की शैली राहुल गांधी के काफी करीब है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले अजय राय को प्रदेश में अपनी एक मजबूत टीम बनाने की छूट दी जाए।