प्रदेश में चल रहा सफेद दवा का काला कारोबार:ठीक करने के जगह कर रही लोगों को बीमार

Lucknow

(www.arya-tv.com)प्रदेश भर में कोरोना काल में नकली दावा का कारोबार तेजी से बढ़ा है। इसमें एलर्जी, खांसी की दवा, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं से लेकर एंटीबायोटिक इंजेक्शन तक नकली बनाए जा रहे हैं। पिछले दिनों प्रदेश भर में पुलिस की छापेमारी में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं। प्रदेश की राजधानी से लेकर मेरठ, बागपत व अलीगढ़ व जौनपुर में भी इसकी फैक्ट्री व सप्लाई की बात सामने आई। नकली दवा का हब कोलकाता बताया जा रहा है। जहां कानपुर व लखनऊ की एक टीम छापेमारी की तैयारी कर रही है। इस खेल में दवा कारोबरी से लेकर डॉक्टर व अस्पताल संचालक तक संलिप्त है। यह दवाइयां लोगों को ठीक करने की जगह बीमार कर रही हैं।

लखनऊ का मनीष मिश्र नकली दवा कारोबार का सरगना
यूपी पुलिस नकली दवा के कारोबार में लिप्त अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार कर छह करोड़ की कीमत की नकली दवा और रैपर बरामद कर चुकी है। इस पूरे काले कारोबार का सरगना लखनऊ एलडीए निवासी मनीष मिश्र है। जो मूल रूप से रायबरेली का रहने वाला है। जिसे लखनऊ व कानपुर क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था। पुलिस को इसका पता कानपुर में चकेरी निवासी पिंटू गुप्ता उर्फ गुड्डू व बेकनगंज निवासी आसिफ मोहम्मद खां उर्फ मुन्ना से पता चला था। जिनके पास से भारी मात्रा में नकली दवाएं बरामद हुई थी।

लखनऊ अमीनाबाद बजार से दो करोड़ की नकली दवाएं हुई बरामद
लखनऊ के अमीनाबाद में पुलिस ने करीब दो करोड़ रुपये की दवाएं बरामद कर सचिन नाम के युवक को गिरफ्तार किया। वहीं एसटीफ ने भारी मात्रा में नकली सीरप बरामद की। इसी क्रम में जौनपुर में 61 हजार कोडीनयुक्त अवैध सीरप की बोतल बरामद हुई। इसके चलते चार दवा कंपनियों के लाइसेंस भी निरस्त किए गए। जिसे खांसी की दवा की जगह लोग नशे के लिए प्रयोग कर रहे थे।

पैकिंग ऐसी असली-नकली का फर्क नहीं दिखेगा
प्रभारी निरीक्षक अमीनाबाद आलोक कुमार राय के मुताबिक यह लोग दवा की पैकिंग ऐसे करते थे कि लोग असली नकली में फर्क ही नहीं कर सकते। जिफी, नाइट्रावेट टेबलेट और एंटीबायोटिक के नकली इंजेक्शन की पैकिंग नामी कंपनियों जैसे की जा रही थी।

कई नामी दवा कंपनी के एमआर भी पुलिस की रडार पर
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पकड़ी गई नकली दवा कंपनी के एमआर भी पुलिस की रडार पर हैं। उनकी कुंडली खंगाली जा रही है। साथ ही दवा कारोबार से जुड़े लोगों पर भी जांच की आंच आएगी। वहीं इन दवाओं के रैपर बनाने वाली प्रिंटिंग प्रेस भी पुलिस के निशाने पर है।

माफिया के सीडीआर से हिमाचल से कोलकाता तक के दवा कारोबारी संदेह के घेरे में
क्राइम ब्रांच के मुताबिक मोबाइल फोन की सीडीआर के आधार कई दवा से जुड़े कारोबारी संदेह के घेरे में है। सरगना मनीष मिश्र के दाहिने हाथ माने जाने वाले बलराज ने जून में कोलकाता, रुड़की और हिमाचल प्रदेश के दवा कारोबार से जुड़े लोगों से कई बार बात की और वहां गया भी । मोबाइल लोकेशन के आधार पर सरगना मनीष मिश्रा का बलराज, चौधरी, अहमदाबाद में अहमद पटेल नाम के युवक से लिंक मिला है। आरोपियों के कोलकाता बुलंदशहर, अहमदाबाद, बहराइच, गोंडा, गुरुग्राम समेत अन्य स्थानों के नए कनेक्शन खंगाले जा रहे हैं।

मुजफ्फरनगर व बागपत में चलती मिली नकली दवा की फैक्ट्री
पुलिस टीम को बागपत व मुजफ्फरनगर में नकली दवाओं की फैक्ट्री चलती मिली। जहां से कैल्सियम की नकली दवाएं और सीरप बनाने के कच्चे माल के साथ पैकिंग करने की मशीन व समग्री बरामद हुई। पुलिस टीम ने मौके से बलराज गर्ग, मुन्ना व सहदेश पाल को गिरफ्तार किया। इनके पास से टैब्लेट बनाने में काम आने वाली एक पंचिंग मशीन, एक कोटिंग पैन, दो ब्लिस्टर पैक मशीन और चार मशीन बोत्तल के ढक्कन सील करने वाली बरामद की। वहीं बागपत से आसमिनसिन टैबलेट, पोस्केट दवा, अल्ट्रासेट बेफनाट, एम 1685 एमपाट टैबलेट औऱ 25 किलो कैप्सूल में भरने के लिए टेल्कम पाउडर 25 बरामद हुआ।

गुड़गांव से आते थे खाली वाइल, लखनऊ से होती थी सप्लाई
पुलिस के मुताबिक डेका ड्यूराबोलिन के खाली इंजेक्शान गुड़गांव से आते थे, वहां से अलीगढ़ के सासनी गेट निवासी अशोक गुप्तां व कमलेन्द्र पुंडीर इन्हें जायडस कंपनी का रैपर चि‍पका के लखनऊ में सरगाना मनीष मिश्रा को भेजता था। फिर यहां से नकली इंजेक्शन के साथ अन्य नकली दवाओं की सप्लाई होती थी।

दवाओं की बुकिंग के लिए बना रखे थे कोडवर्ड
दवाओं की सप्लाई और बुकिंग के लिए गैंग के सदस्य आपस में कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। पकड़ी गई जिफी दवा के लिए पारले जी और पेनटाक के लिए कैडबरी कोड बना रखा था। ताकि कभी किसी को शक न हो सके।

तीन तरह से बनती थी नकली दवाएं
गैंग के पकड़े गये सदस्यों ने बताया कि‍ नकली दवाएं तीन तरह से बनाई जाती हैं। एक तो साल्ट की जगह खड़िया भरते थे, दूसरी तरह की नकली दवा में हल्का साल्ट मि‍लाया जाता था और तीसरी नकली दवाएं ब्रांडेड दवाओं के लेवल को सस्ती मिलने वाली जेनेरि‍क दवाओं पर लगाकर तैयार कि‍या जाता था।