(www.aryatv.com) भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशीकरण को बढ़ावा देते हुए शुक्रवार को लगभग 19,000 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ भारतीय नौसेना के लिए पांच फ्लीट सपोर्ट जहाजों (एफएसएस) के अधिग्रहण हेतु हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल), विशाखापत्तनम के साथ एक अनुबंध किया। एचएसएल के सीएमडी कमोडोर हेमंत खत्री (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने एचएसएल के साथ जो अनुबंध किया है उससे भारतीय नौसेना को काफी फायदा होगा।
हेमंत खत्री ने कहा, यह एक बड़ा दिन है क्योंकि आज एक साथ पांच जहाजों के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ये पांच जहाज आकार और प्रौद्योगिकी के मामले में बहुत उन्नत हैं… इनसे भारतीय नौसेना को बहुत फायदा होगा। शुक्रवार को हस्ताक्षरित अनुबंध लगभग 19,000 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ भारतीय नौसेना के लिए पांच फ्लीट सपोर्ट जहाजों (एफएसएस) के अधिग्रहण के लिए है।
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा प्रोत्साहन होगा क्योंकि इन जहाजों को एचएसएल, विशाखापत्तनम द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाएगा। अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि 44,000 टन श्रेणी के जहाज भारत में किसी भारतीय शिपयार्ड द्वारा बनाए जाने वाले अपनी तरह के पहले जहाज होंगे।
इस अवसर पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने कहा कि पांच फ्लीट सपोर्ट जहाज कार्गो क्षमता को बढ़ाएंगे और हिंद महासागर के सभी क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देंगे। वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने कहा कि फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस) की वर्तमान शैली, जिस पर आज हस्ताक्षर किए गए हैं, पांच टैंकरों के साथ लगभग 25,000 टन का माल ले जाएगी। हमें विश्वास है कि हम हिंद महासागर के सभी क्षेत्रों में उपस्थिति और निगरानी बनाए रखने और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे।
नौसेना के युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक (CWPA) वाइस एडमिरल किरण देशमुख ने कहा कि हस्ताक्षरित 20,000 करोड़ रुपये के अनुबंध से 170 लाख मानव दिवस के रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी। देशमुख ने कहा, अगर आप आज पांच जहाजों की गिनती करें तो हमने 20,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए हैं… इससे 170 लाख मानव-दिवस के रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
अब तक हम 1.5 लाख करोड़ रुपये के जहाज निर्माण अनुबंधों का संचालन कर रहे हैं जो पहले ही संपन्न हो चुके हैं। मुझे यकीन है कि यह आत्मानिर्भरता के लिए सरकार के निर्देश के अनुरूप है। साथ ही मुझे यकीन है कि यह हमें 2047 तक 100 प्रतिशत आत्मनिर्भरता के हमारे प्रमुख उद्देश्य की ओर ले जाएगा।