अमेरिका में 5-11 साल तक के 40 फीसदी बच्चों को संक्रमण

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(www.arya-tv.com)कोरोना का संक्रमण बच्चों पर भी घातक रूप से असर डालता है। अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार जून तक 5 से 11 साल के आयुवर्ग के 40 फीसदी बच्चों को कोरोना का संक्रमण हो चुका हैं। जबकि अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले इससे और अधिक हो सकते हैं।

उधर कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि अक्सर जांच के दौरान फाॅल्स पॉजिटिव मामले सामने आने के कारण भी ये संख्या ज्यादा प्रतीत हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया के स्कॉट हेनस्ले का कहना है कि बच्चों में कोरोना के मामलों के प्रतिशत पर बहस हो सकती है लेकिन इससे एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि बच्चों को कोरोना का टीका लगाया जाना जरूरी है।

क्या बच्चों में ज्यादा प्रतिरोध क्षमता होती है?

बच्चे में भी कोरोना संक्रमण के प्रति जोखिम रहता है। ये कहना गलत होगा कि बच्चों में काेरोना संक्रमण के प्रति प्रतिरोध क्षमता होती है। येल यूनिवर्सिटी की अकीको इवासकी का कहना है कि पेरेंटस को बच्चों को भी टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे पूरी आबादी का बेहतर इम्युनिटी कवरेज होता है।

बच्चों की टीके से पूर्व कोरोना जांच कैसे हो?
इवासाकी का कहना है कि बच्चों को टीका लगवाने से पहले पीसीआर टेस्ट कराना चाहए। ये कोरोना की जांच के लिए सबसे सटीक टेस्ट है। बच्चों में फाल्स निगेटिव टेस्ट आने की संभावना ज्यादा रहती है। बच्चों में इस टेस्ट से एंटीबॉडी के बारे में पता नहीं चल पाता है। बच्चे संक्रमित होने के बाद ज्यादातर मामलों में एसिम्पटोमैटिक होते हैं।