खान ने ये बातें अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में कही हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सत्ता में आने से पहले सरकारों के पास “राजनीतिक इच्छा” नहीं थी कि वे अपनी धरती पर चल रहे आतंकवादी समूहों को खत्म कर सकें।
उन्होंने कहा, “जब तक हम सत्ता में नहीं आए थे, सरकार के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। क्योंकि जब आप आतंकवादी समूहों के बारे में बात करते हैं तो हमारे पास अभी भी लगभग 30 से 40 हजार सशस्त्र लोग हैं, जो अफगानिस्तान या कश्मीर के किसी हिस्से में प्रशिक्षित और लड़े हैं।
हमारी सरकार ऐसी पहली सरकार है जो आतंकी संगठनों को निरस्त्र कर रही है। ये पहली बार है जब ऐसा हो रहा है। हमने उनके संस्थानों और मदरसों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वहां हमारे प्रशासक हैं। एक अन्य कार्यक्रम में इमरान खान ने कहा था कि उनकी सीमा में 40 आतंकी संगठन संचालित थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछली सरकारें नियंत्रण में नहीं थीं और अमेरिका को जमीनी हकीकत नहीं बताई।
खान ने अमेरिकी सांसदों से कैपिटल हिलटाउन में कहा, “हम आतंक पर अमेरिकी युद्ध लड़ रहे थे। पाकिस्तान का 9/11 से कोई लेना-देना नहीं है। अलकायदा अफगानिस्तान में था। पाकिस्तान में कोई आतंकवादी तालिबान नहीं थे। लेकिन हम अमेरिकी युद्ध से जुड़े। दुर्भाग्य से, जब चीजें गलत हुईं, जहां मैं अपनी सरकार को जिम्मेदार मानता हूं, हमने अमेरिका को जमीनी हकीकत नहीं बताई।
40 अलग-अलग तरह के आतंकी संगठन पाकिस्तान में संचालित थे। इसलिए पाकिस्तान एक ऐसे दौर से गुजरा है, जहां हमारे जैसे लोग चिंतित थे कि क्या हम जीवित रह पाएंगे। तो जब अमेरिका हमसे और ज्यादा करने और युद्ध में जीतने के लिए मदद की उम्मीद कर रहा था, उस समय पाकिस्तान अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा था।”