राम मंदिर के द्वारा जगत का कल्याण और उत्थान कैसे ?

Lucknow

(www.arya-tv.com)लखनऊ शहर में जन्में, लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी, एचबीटीआई कानपुर से बीटेक और एमटेक करने के पश्चात मुम्बई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में अपनी 35 वर्षों की सेवा देने के पश्चात सेवानिवृत्त होकर अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य प्राचीन भारतीय गौरव को ज्ञान और विज्ञान को अपने ब्लॉग और वेब चैनल के माध्यम से पूरे विश्व में पहुंचाने का संकल्प लिए हुए नवी मुंबई निवासी प्रसिद्ध कवि लेखक और वैज्ञानिक विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी आजकल सनातनपुत्र देवीदास विपुल के नाम से जाने जाते हैं। जिनको अन्वेषक बाबा या खोजी बाबा के नाम से भी पुकारा जाता हैं।

विपुल लखनवी द्वारा भगवान राम का योग से क्या संबंध है इस विषय पर पत्रकार डा. अजय शुक्ला ने एक बेबाक साक्षात्कार लिया गया था। उसी क्रम में भगवान राम के मंदिर निर्माण के साथ जगत का कल्याण और उत्थान कैसे होगा? इस विषय पर प्रस्तुत साक्षात्कार के कुछ प्रश्न!

डॉ.अजय शुक्ला : आप यह अक्सर कहते रहते हैं कि वर्तमान में राम मंदिर निर्माण से संपूर्ण जगत का कल्याण भी होगा उत्थान भी होगा और भारत विश्व गुरु बनने की तरफ आगे बढ़ जाएगा यह कैसे संभव होगा?

विपुल जी : देखिए राम मंदिर के निर्माण के कारण भारत का दो कारणों से उत्थान होगा और उनके सहयोग से भारत विश्व गुरु बन जाएगा। पहला भौतिक और दूसरा आध्यात्मिक। भौतिक रूप में भारत में पर्यटन को बहुत अधिक बढ़ावा मिल जाएगा। आपने देखा होगा बहुत सारे देशों की अर्थव्यवस्था केवल पर्यटन पर ही आधारित होती है।‌ बढ़ते पर्यटन के कारण स्थानीय स्तर पर धन की वर्षा होने के कारण लोगों को उचित मात्रा में धन प्राप्त होगा जिससे कि प्रदेश का और देश का भी कल्याण होगा। एक अनुमान के अनुसार 25 करोड़ से अधिक भारतियों का घर मंदिरों के कारण ही चलता है।

ये 25 करोड़ लोग वो हैं। जो कम पढ़े लिखे और गरीब हैं! कांवड़ बनाने वाले ५ लाख, रिक्शा चलाने वाले ५ लाख, छोटे होटल वाले ५ लाख, फूल‌ प्रसाद वाले ६ लाख, पूजा सामग्री वाले ६ लाख, गरीब पुजारी ७ लाख, भिखारी_२० लाख, मूर्ति बनाने वाले_१ लाख, नारियल वाले १ लाख, धर्मशाला वाले १ लाख, छोटे ठेली वाले ४ लाख, रेलवे की ३०% इनकम हर वर्ष धार्मिक यात्राओं के कारण होती है, हवाई जहाज की १०% इनकम धार्मिक यात्रा के कारण होती है, धार्मिक यात्रा के कारण हर साल चप्पल उद्योग की २५% कमाई होती है, धार्मिक मंदिरों के कारण ५०,००० कैमरे वालों का गुजारा चल जाता है, धार्मिक मंदिरों के कारण लगभग १५ लाख ड्राइवरों के घर का गुजारा चलता है, मंदिरों में पूजा उपासना के कारण लोगों में धार्मिक भावना बनी रहती है, जिस कारण लोग लूट पाट और हत्याएं करने से बचते हैं, हर गांव में मंदिर होने के कारण गांव के लोग संगठित रहते हैं।

जापान में मंदिर हैं, चीन में मंदिर हैं, कोरिया में मंदिर हैं, म्यांमार में मंदिर है।
दुनिया के सभी देशों में धार्मिक स्थल हैं। मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों के कारण लोगों का धन‌ चलन में रहता है और हर व्यक्ति तक वह धन पहुंचता है, जिससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था घुमती है। इसी कारण देश विरोधी लोगों की जमात मंदिरों की दुश्मन बनी हुई है। इसीलिए कहा गया है और सिद्ध होता है “धर्मो रक्षति रक्षितः”!

दूसरा जो आध्यात्मिक वर्ग है उसमें लोगों को राम के प्रति आस्था में बढ़ोतरी होने से वह सनातन के सत्य मार्ग पर कम से कम चलने के मार्ग के दर्शन तो कर सकेंगे और कुछ तो आगे बढ़कर उस मार्ग पर चल भी सकते हैं। यानि अच्छे और मानवीय गुणों का प्रचार प्रसार होगा जिससे जनमानस में देश के प्रति प्रेम सनातन के प्रति प्रेम मानवता के प्रति समर्पण की भावना और अधिक प्रगाढ़ हो जाएगी। अच्छे मानवों का निर्माण अच्छे समाज का निर्माण करेगा और जिससे कि हमारे राष्ट्र का और पूरे विश्व का कल्याण होगा।

डॉ अजय शुक्ला: आप सिर्फ सनातन की ही बात करते हैं ईसायत या मुस्लिम धर्म के द्वारा भी विश्व का कल्याण नहीं हो सकता क्या?

विपुल जी : अजय जी पहली बात यह है ईसाइयत और इस्लाम धर्म नहीं है यह पंथ या संप्रदाय हैं जो कि केवल एक व्यक्ति की कहानी कहते हैं और उन्हीं की बात करते हैं इस कारण यह सीमित हैं। लेकिन सनातन की स्थापना किसने की यह आप बता सकते हैं क्या? हजारों ऋषि मुनियों ने मनन कर अपने अनुभवों को लिखकर सनातन के मार्ग को प्रशस्त किया है। किसी एक व्यक्ति की मोनोपोली नहीं है और जहां एक व्यक्ति होता है तो एक ही की बात होती है लेकिन जहां अनेक होते हैं वहां पर विभिन्न विचारधाराओं में सोचने के बाद जो उसका सत्व निकलता है वह सर्वश्रेष्ठ होता है।

दूसरी बात ईसाइयत और मुस्लिम यही कहते हैं तुम सिर्फ इसी किताब के दायरे में देखो इस किताब के बाहर देखोगे तो तुम्हें मौत मिलनी चाहिए। जबकि सनातन कहता है ईश्वर तो सिर्फ एक है मार्ग अलग-अलग है तुम सब में ईश्वर को देखो और ईश्वर में हर प्राणी को देखो जगत में हर प्राणी से प्रेम करो। यह शिक्षा कहीं और नहीं मिलती। इस कारण जगत का कल्याण सिर्फ और सिर्फ सनातन के मार्ग पर चलकर ही संभव हो सकता है।

डॉ अजय शुक्ला: लेकिन आप यह कैसे कह सकते हैं कि भारत विश्व गुरु बन जाएगा?

विपुल जी : भारत विश्व गुरु बनेगा तो वर्तमान में केवल इंटरनेट के कारण बनेगा। इंटरनेट भारत को विश्व गुरु बनाएगा। कारण यह है की पश्चिमी देश और तमाम देशों में लोग अपने प्रति जागरुक हो रहे हैं। इस कारण वह अध्ययन करते हैं और इंटरनेट के कारण उनको अध्ययन के लिए सारी सामग्री तुरंत मिल जाती है। जब भी पढ़ा लिखा व्यक्ति अथवा शांति की खोज में भटकने वाले को किसी भी सनातन के ग्रंथ को पढ़ने का मौका मिलता है तो वह सनातन का मुरीद हो जाता है और हिंदू धर्म को स्वीकार कर लेता है। क्योंकि उसकी समझ में आने लगता है कि सिर्फ और सिर्फ सनातन में ही प्रेम की दुनिया में भाईचारे की दूसरे की सहायता करने की शिक्षा दी जाती है। बाकी तो यह कहते हैं जो तुम्हारी बात न माने उसको मार दो। तो उनके अंदर यह भावना आ जाती है यदि उनको शांति चाहिए तो सनातन की ओर आकर्षित हों और हिंदू धर्म अपना लो।

इसके अतिरिक्त अब पूरी दुनिया को मालूम पड़ गया कि पश्चिमी देशों की सारी शोध अंग्रेजों के भारत आने के बाद ही क्यों हुई? पश्चिमी देशों ने किस तरह से भारत के सनातन ज्ञान से चोरी कर नई-नई वस्तुओं को इजाद करने का दावा किया। इस कारण कितने पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक तक भारत के सनातन साहित्य के उदाहरण को देखकर यह सिद्ध करने लगते हैं कि पश्चिमी देश के किस वैज्ञानिक ने भारत के किस साहित्य से क्या चोरी किया। इसके अलावा पूरी दुनिया के 124 देश में संस्कृत पढ़ाई जा रही है जिससे कि वह भारत के सनातन साहित्य को अच्छी तरह समझ सके और उनमें दी गई शोध के आधार पर आधुनिक शोध को आगे बढ़ा सकें। यदि आप देखेंगे तो इस तरीके के आपको हजारों उदाहरण मिल जाएंगे।

डॉ अजय शुक्ला: लेकिन आप अकेले राम मंदिर की बात क्यों कर रहे हैं?

विपुल जी : देखिए और सभी धर्म क्षेत्र पहले से बने हुए थे इस कारण लोगों को उसमें इतना अधिक रुझान नहीं दिखता था लेकिन राम मंदिर के कारण एक नया तीर्थ क्षेत्र का निर्माण हो गया जिसे हम राम तीर्थ क्षेत्र कह सकते हैं। एक तरीके से राम मंदिर का निर्माण सभी आकर्षण के केन्द्रों को पूरा कर देगा। जब लोग राम मंदिर को देखने आएंगे तो धार्मिक क्षेत्र को भी देखेंगे। उनके मन मस्तिष्क में परिवर्तन होगा।

वैसे भी राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम है और उनके मंदिर की स्थापना अर्थात इस घोर पापी कलयुग में जगत में मर्यादा और सामाजिक कर्तव्य एवं निष्ठा की स्थापना यह सिद्ध करती है कि बदलाव आ रहा है। आज पूरा विश्व राम मंदिर में राम लला की स्थापना को लेकर भारत की ओर देख रहा है।

डॉ अजय शुक्ला: तो आप फिर समाज से क्या कहना चाहेंगे?

विपुल जी: युग परिवर्तन हो रहा है हम सौभाग्यशाली हैं कि हम इस युग परिवर्तन के दृष्टा बनेंगे। इस कारण सभी से निवेदन है की वर्तमान समय में अपने को पहचानने का प्रयास करें। अपने ब्रह्म के स्वरूप को अनुभव करने के पश्चात योगी बनने का प्रयास करें। राम का नाम उसमें भी सहायक हो सकता है। इसी में उनका कल्याण होगा उनको परमशांति के पश्चात आनंद की प्राप्ति होगी।

मैं आपके पाठकों से अनुरोध करूंगा आपको योग अथवा वेद महावाक्य या सनातन के किसी भी विषय में कोई भी जिज्ञासा हो। कोई भी प्रश्न हो जिसका उत्तर कहीं न मिल रहा हो तो आप मुझे मेरे मोबाइल नंबर 99696 80093 पर नि:संकोच संदेश भेज कर उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।

डॉ.अजय शुक्ला : बहुत-बहुत आभार मेरे साक्षात्कार के समय निकालने के लिए मैं आपके साथ हर तरीके से जुड़ा रहूंगा यह मैं आपको आश्वासन देता हूं। धन्यवाद।

विपुल जी: धन्यवाद आपको भी जो आपने समय निकाला। जय सियाराम।