लक्ष्मणपुर के लक्ष्मण टीले का इतिहास, जिसका वर्तमान समय में बदल दिया गया नाम

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(www.arya-tv.com) भारत के प्रत्येक शहर में एक कोई ऐसा मंदिर, इमारत या फिर स्थान जरूर मिलेगा। जहां पर किसी न किसी आक्रमणकारी ने उस को विध्वंस किया होगा। या फिर उस स्थान का अपने या फिर अपने किसी क्रूर सम्राट के नाम पर कर दिया होगा। अभी हाल ही के वर्षों में कई स्थानों के नाम बदले गए है। लेकिन आज भी कई स्थान ऐसे भी हैं जो आज भी उनकी क्रूरता का राग गाते हैं।

वर्ष 1199 में जिस बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को ​जलाकर राख कर दिया, आज वहीं उस के नाम पर बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन है। हालांकि बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने के मांग तो कई बार उठी। लेकिन एक बार तो बिहार सरकार ने इसका नाम बदलने से ही साफ मना कर दिया।

ऐसी ही एक स्थान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में है, जिसे भगवान श्री राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को दिया था। जिसके बाद वह स्थान लक्ष्मणपुर के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान समय में जिसे लखनऊ के नाम से जाना जाता है। लखनऊ का काफी पुराना इतिहास है पर आक्रमणकारियों ने कुछ 100 वर्षों में इसे कैद कर दिया।

श्री राम के भाई लक्ष्मण ने लक्ष्मणपुर (लखनऊ) को लक्ष्मण टीला के पास बसाया था। लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी जहां बड़ा मेला लगता था। अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में इस गुफा को बार-बार ध्वस्त किया गया और यह जगह टीले में तब्दील हो गई। इसी टीले पर औरंगजेब ने एक मस्जिद बनवा दी। बाद में सन् 1857 में अंग्रेज के शासनकाल में इस गुलाबी मस्जिद के ऊपर घोड़े बांधे जाने लगे।

जिसके बाद किसी नवाब के गुहार पर अंग्रेजों ने मस्जिद को खाली कर दिया। लेकिन इस टीले का नाम नहीं बदला। दुर्भाग्य तो तब हुआ जब प्रदेश की पूर्व सरकार ने एक समुदाय को खुश करने के लिए लक्ष्मण टीला का नाम बदलकर टीले वाली मस्जिद कर दिया। हालांकि जब भी किसी ऐसे स्थान की खुदाई होती है जिसे किसी आक्रमणकारी ने बर्बाद कर दिया हो या फिर उसका कुछ हिस्सा ध्वस्त कर निमार्ण कराया हो। वहां पर सुबूत के तौर पर कुछ न कुछ ऐसा जरूर मिलता है जिससे साबित हो जाता है कि उस स्थान पर पहले क्या था और उसे किस क्रूरता के साथ नष्ट किया गया है।