- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
(www.arya-tv.com)विगत दिनों तेजी से बदले वैश्विक परिवेश में इसराइल और हमास के युद्ध की आहट हमको विश्व युद्ध की तरफ भी ले जा सकती है। इस संदर्भ में कुछ विचार बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
पहला – ईरान और इराक, शिया और सुन्नी के नाम पर आपस में कई बार लड़ने वाले दो कट्टर देश ने तेल उत्पादक मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी की आपात मीटिंग बुलवायी उधर यूरोपीय यूनियन के विदेश मंत्रालयों की भी बड़ी बैठक हुई।
तो परिणाम पर विचार करते हैं।
ओआईसी की बुलाई ईरान की बैठक में अधिकांश सदस्य देशों ने यह कहते हुए आने से इंकार कर दिया कि, इससे वे हमास के साथ खड़े दिखेंगे। जिस कारण एकता पर संकट आता दिखने लगा इस पर सऊदी अरब ने ईरान की मीटिंग को अपने नाम से आहूत किया और इसमें दो महत्वपूर्ण कार्य किए गए।पहला गाजा पर हुए इजराइली हमले की निंदा की गई। दूसरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए सदस्य देशों द्वारा नई योजनाएं बनाई गईं। दूसरा पहलू तो दुनिया का ध्यान भटकने के लिए रखा गया ऐसा दिखता है।
दूसरी बात यूरोपीय यूनियन की बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। पहली बात, यूरोपीय देशों के संगठन द्वारा फिलिस्तीन को दी जाने वाली सभी तरह की सहायता तत्काल रोकेंगे। यहां तक की 20 मिलियन डॉलर की दवा, कपड़े और खाद्य सामग्री की खेप मिस्र में रोककर, वहीं से वापिस मंगवाने की कवायद शुरू कर दी गई है। दूसरा, हमास का हमला पूर्णतः आतंकी हमला माना गया और इजराइल को जो भी सहायता की आवश्यकता होगी, उसे हर संभव पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। तीसरा, यूरोपीय देशों में फिलिस्तीन का समर्थन करने या रैली निकालने वालों पर, उस देश की सरकार सख्त होगी और प्रदर्शनकारियों पर तत्काल कार्रवाई करेगी।
चौथा, मियां खलीफा तो केवल एक उदाहरण है, जैसे तमाम व्यापारिक इकाई जर्मनी और फ्रांस ने अपने देश की कंपनियों को तत्काल ऐसे कर्मचारियों को बाहर निकालने का अधिकार दे दिया है। जर्मनी ने तो ऐसे प्रदर्शनकारियों को चिन्हित करके नोटिस भेज दी है, जिनकी संख्या लगभग 150 है। पांचवां यूरोप में यदि अप्रवासी इस तरह के प्रदर्शन में संलिप्त दिखते हैं, तो उनके राहत कैंपों से उन्हें निकालकर उनके देश भेज दिया जाएगा। छठा इसके अलावा उन इस्लामिक देशों को, जिन्हें उनके द्वारा फंड दिया जाता है (जैसे , इराक, सीरिया) उनके मंत्रालयों को नोटिस भिजवा दी गई है कि, यदि वह देश हमास का समर्थन करते हैं तो उनकी सहायता रोक दी जाएगी।”
इन मीटिंग में यूरोपीय संघ के फैसले अधिक कारगर साबित होते दिख रहे हैं वहीं इस्लामिक देशों में विभाजन तो हुआ ही, साथ ही हमास से दूरी बनाना भी मजबूरी हो गई।
इसका त्वरित प्रभाव यह देखा गया कि शाम से दुनिया के कई देशों में इजराइल के हमले के विरोध में तो रैली निकाली, लेकिन हमास या फिलिस्तीन के समर्थन में कोई रैली नहीं हुई।
लेकिन इजराइल का आयरन डोम कैसे छिन्न भिन्न हुआ इस पर तो विचार करना जारी रहेगा। सूत्रों के अनुसार इजरायल द्वारा सीमा पर लगाई गई एक बैटरी एक बार में अधिकतम 20 मिसाइल के हमले को एंटी मिसाइल के द्वारा रोक सकती है। गाजा पट्टी पर इजरायल ने केवल 10 ही बैटरी लगाई थी यानी वे केवल अधिक से अधिक 200 मिसाइल के हमले को ही रोक सकते थे। इसके अतिरिक्त वहां पर होने वाले उत्सव के कारण पैराग्लाइडर से उतरने वाले आतंकवादियों को उन्होंने उत्सव का हिस्सा मान लिया और वह वीडियो बनाने में व्यस्त हो गए। मालूम तब पड़ा जब उन्होंने उतरकर फायरिंग आरंभ करी और कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इजरायल की सेवा के अधिकतर जवान उत्सव का आनंद ले रहे थे और आनंद की स्थिति में थे जिस कारण उनका तैयार होने में कोई भी समय नहीं मिल पाया और वह मौत के घाट उतारे गए। यह घटना हमको यह सिखलाती है कि हम कभी भी दुश्मन की तरफ से लापरवाह न हो। सांप और सीढ़ी के खेल की भांति दोनों पक्ष कभी हारते कभी जीतते नजर आ रहे हैं जिससे यह सिद्ध हो रहा है कि यह युद्ध भी लंबा चल सकता है। दूसरी तरफ आने वाले भूकंप उड़ीसा के प्रसिद्ध संत स्वामी अच्युतानंद दास द्वारा लिखित भविष्य मलिका को सत्य साबित करने में लगे हुए हैं। आगे क्या होना है यह तो भविष्य के घर में छिपा हुआ है बस हम और आप मिलकर सतर्क रहें सावधान रहें यही कर सकते हैं।