अमेरिका में बड़ी संख्या में मुस्लिम ने हमास के समर्थन में रैली निकाली

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  • विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत

न्यूयॉर्क। संयुक्त राज्य अमेरिका।  संयुक्त राज्य अमेरिका के कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुस्लिम ने हमास के समर्थन में बड़ी रैलियां आयोजित कीं। फॉक्स न्यूज के अनुसार ध्यान देने वाली बात यह है रैली में यह वही लोग हैं जिन्हें सोमालिया, अफगानिस्तान, इराक सीरिया, लेबनान मैं तबाही के समय अमेरिका ने शरण दी थी। उन्हें रोजगार दिया उन्हें रोटी दी और साथ ही साथ उन्हें अपनी नागरिकता भी दी।

एक पत्रकार ने जब इनसे सवाल पूछा कि क्या आप अमेरिकन है तो यह उत्तर मिला हम पहले मुस्लिम हैं बाद में अमेरिकन है। इस तरह की मानसिकता के कारण अब कई देश मुस्लिम को शरण देने में संकोच करने लगे हैं और कुछ ने तो अपने देश से शरणार्थियों को बाहर खदेड़ना भी शुरू कर दिया है। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि भारत जैसे देश में लगभग सभी विपक्षी दल वोट बैंक की खातिर आसपास के मुस्लिम देशों के शरणार्थियों को शरण देने की कवायद वकालत करते हैं और कई राज्य तो उनको बाकायदा बसाने के लिए रोटी कपड़ा और मकान भी मुहैय्या करवाते हैं। यहां पर ध्यान देने वाली यह भी बात है कि भारत में रहने वाले सभी मुस्लिम के पूर्वज हिंदू थे जो कि भय के कारण अथवा लालच के कारण कुछ पीढ़ी पहले मुस्लिम हो गए थे। इस कारण भारत में आज भी कई मुस्लिम नेता और हमाम भी हमास के हमले के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। इसलिए बहुत से लोग भारत के मुस्लिम समाज की तुलना अमेरिका में रहनेवाले मुस्लिम से करने के पश्चात अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे रहते हैं जो कि किसी सीमा तक सही नहीं भी है। वह बात अलग है कि दयालु मुस्लिम अपने समाज में विरोध के कारण गलत बात का सीधा विरोध नहीं कर सकते। जैसे महिलाओं में यह बात फैलाई जाती है कि यदि तुम समाज का विरोध करोगी नसबंदी कराओगी तो तुम्हारी शव यात्रा में कोई शामिल नहीं होगा। और अधिकतर गरीब पिछड़े मुस्लिम को तो डरा धमका कर घर बैठा दिया जाता है।

अब समय आ गया है भारत में भी मुस्लिम समाज को शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए और मानवता विरोधी गलत बात के विरोध में खुलकर आगे आना चाहिए।