(www.arya-tv.com) श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाला हरियाली तीज का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का खास महत्व है। इस साल ये त्योहार कल यानी 19 अगस्त को मनाया जाएगा। सुहागिनें इस दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं और गौरी शंकर की पूजा करती हैं।हरियाली तीज के दिन हरे रंग को खास महत्व दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हरा रंग महादेव को काफी प्रिय है और सुहाग का प्रतीक है।
इस दिन हरे रंग की साड़ी और चूड़ियां पहनना शुभ माना जाता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि हरियाली तीज का व्रत और पूजा विधि विधान के साथ करने से भगवान शिव और माता पार्वती हर मनोकामना पूर्ण करते हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।
इस साल कई महिलाएं पहली बार हरियाली तीज का व्रत रखेंगी. ऐसे में अगर इस व्रत की सामग्री में कोई कन्फ्यूजन है तो घबराने की जरूरत नहीं, हम आपको बताने वाले हैं हरियाली तीज के व्रत और पूजा में इस्तेमाल होने वाली सारी सामग्री। लेकिन उससे पहले जानते हैं हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
क्या है शुभ मुहूर्त?
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त को रात 8 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में हरियाली तीज का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
हरियाली तीज की पूजा के तीन शुभ मुहूर्त हैं-
- पहला मुहूर्त- सुबह 7.30 से 09.08 तक
- दूसरा मुहूर्त- दोपहर 02:03 बजे से शाम 05:19 बजे तक
- तीसरा मुहूर्त- शाम 06:57 बजे से रात 08:19 बजे तक
सामग्री लिस्ट
- माता पार्वती और भगवान शिव के लिए मूर्ति
- मिट्टी का कलश
- चौकी
- चौकी पर पिछाने के लिए लाल कपड़ा
- नारियल
- सोलह श्रृंगार का सामान
- माता पार्वती और भगवान शिव के वस्त्र
- गणेशजी की तस्वीर और उनके वस्त्र
- पूजा का सामान ( फूल, बेलपत्र, धतुरा, धतुरे के फूल, केले के पत्ते, शमी पत्र, कलावा, अबीर, सफेद चंदन, कुमकुम, आक के फूल, एक जोड़ी जनेऊ)
- ताबें या पीतल के लोटे में जल
- फल
- गाय का घी
- सरसों का तेल
- घी का दिया
- कपूर
- मिठाई
- हरियाली तीज की व्रत कथा
पूजा विधि
- हरियाली तीज के दिन घर को तोरण और फूलों से सजाएं।
- इसके बाद एक चौकी पर मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और मां पार्वती की सखियों की मूर्ति बनाएं।
- इसके बाद लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर प्रतिमाओं को स्थापित करें और उन्हें सजाएं।
- इसके बाद एक थाली में सुहाग का सारा समान रखें और माता पार्वती को अर्पित करें।
- भगवान शिव को भी वस्त्र अर्पित करें। आखिर में दिया जलाकर व्रत कथा पढ़ें।