- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
दीन की शिक्षा देनेवाले कहनेवाले अपने को शांति का मसीहा कहनेवाले लोग जो कि हमास के आतंकवादी हैं और भारत में कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं उनकी यह कहानी आपका दिल दहलाने के लिए पर्याप्त है।
टीवी चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में महिला के साक्षात्कार को सुनकर आपको शायद उबकाई आ जाएगी लेकिन यह सत्य घटना है।
इस महिला को उससे छीने हुए उसके 1 साल के बच्चे का मांस चावल के साथ खाने को दिया गया और बाद में बताया गया। यह वीडियो नेट पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है।
वह हमास के आतंकवादियों से बचकर निकली एक “इजरायली महिला” है और वाशिंगटन डीसी में मुख्यालय वाले मिडिल ईस्ट मीडिया अनुसंधान संस्थान द्वारा उसका साक्षात्कार लिया गया है। मीडिया मेमरी टीवी द्वारा पहचान का खुलासा नहीं किया गया है।
ये धर्म है? ये इस्लाम है? कैसे कोई खुद को मुस्लमान, या इशाअल्ला बोल सकता है जब उसके कुछ मुस्लमान भाई अल्लाह हो अकबर के नाम से छोटे छोटे बच्चो के बर्बर कत्ल, बलात्कार करते है और अधिकतर मुस्लिम आंख मूंद कर उनकी सपोर्ट करते है।
चाहे वो कश्मीर हो – कश्मीरी उग्रवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं के साथ क्या किया गया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ या हाल ही में हमास द्वारा इजरायलियों के साथ, इस मध्ययुगीन लोगों द्वारा “काफ़िरों” पर किए गए रोमहर्षक अमानवीय अत्याचार की तरह-तरह की बर्बर कहानियाँ जिसमे एक ही पैटर्न देखने को मिलता है।
हलांकि भारत के मुस्लिम का डीएनए हिंदुओं का ही है इस कारण उनके अंदर रहम दिखाई देता है लेकिन अरब देशों के मुस्लिम उनको मुस्लिम मानते ही नहीं है और उनको अल कहकर अलग कर देते हैं। कई मुस्लिम संगठन समाज के आतंकवाद के खिलाफ बयान देते भी नजर आते हैं। लेकिन सबसे बड़ा दुखद यह होता है जब उदारवादी मुस्लिम इस तरह की घटनाओं पर चुप रहना पसंद करते हैं जो मानवता के विरोधी होते हैं। समय आ गया है आधुनिक समय में हमको इस कट्टरवादी दानवी सोच से निकलकर मानवतावादी सोच को अपनाना होगा।