लखनऊ के बिजनौर स्थित आर्यकुल कॉलेज ऑफ फार्मेसी में अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय में लखनऊ विश्वविद्यालय, फार्मास्युटिकल साइंस संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रणेश कुमार ने छात्र- छात्राओं का मार्गदर्शन किया । सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रणेश कुमार ने अतिथि व्याख्यान में अच्छी क्लिनिकल प्रैक्टिस के विषय पर छात्र- छात्राओं से चर्चा की। उन्होंने गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (जीसीपी) बताया की क्लिनिकल परीक्षणों के डिजाइन, संचालन, प्रदर्शन, निगरानी, ऑडिटिंग, रिकॉर्डिंग, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए एक मानक हैं। जीसीपी का अनुपालन यह आश्वासन प्रदान करता है कि अध्ययन डेटा विश्वसनीय और सटीक है और अनुसंधान प्रतिभागियों के अधिकार, सुरक्षा, गोपनीयता और कल्याण सुरक्षित हैं।
डॉ. प्रणेश कुमार ने बताया की गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस 4 चरणों में किया जाना चाहिए और जनसंख्या के किसी एक भाग पर प्रयोग करना चाहिएI किसी अभ्यास को जरुरत अनुसार निर्धारित समय तक चलाना चाहिए ताकी हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम मिल सके और उसके अनुसार हम लोगो को जनहित में सुविधा उपलब्ध करा सके। इस प्रैक्टिस का लक्ष्य सुरक्षा, गुणवत्ता, प्रभावकारिता है। इस प्रक्रिया को अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य परिषद के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाता है साथ ही साथ इसे राष्ट्रीय नियामक अधिकारियों द्वारा अंगीकृत किया जाता है।
इस अवसर पर आर्यकुल कॉलेज के प्रबंध निदेशक डॉ. सशक्त सिंह ने कहा की किसी भी तरह के प्रयोग के लिए अच्छी क्लिनिकल प्रैक्टिस बेहद ज़रूरी है ताकी लोगो तक सही व अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सके। इन प्रैक्टिस को हर एक बच्चे को अपने करियर में अपनाना चाहिए ताकि वह भविष्य में एक अच्छा फार्मासिस्ट बनने में सक्षम होI इस अवसर पर आर्यकुल ग्रुप ऑफ कॉलेज के फार्मेसी विभाग के उप निदेशक डॉ. आदित्य सिंह, फार्मेसी विभाग के एचओडी बी.के सिंह, शिक्षको में डॉ. कशीफ शकील, प्रियंका केशरवानी, डॉ. अंकिता श्रीवास्तव, डॉ. स्नेहा सिंह, इंद्र देव पांडे, दीपिका कुमारी, रुखसार बानो, ममता पांडे, अंशिका शुक्ला, के साथ अन्य शिक्षक गण, स्टाफ उपस्थित रहे।