ऐसे गोल बनी पृथ्वी:ग्रैविटी की वजह से कहीं पिचकी, तो कहीं फूली; अब भी लगातार बदल रही

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(www.arya-tv.com) सभी ग्रहों की तरह पृथ्वी का निर्माण भी ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) से हुआ। पत्थरों और धूल के छोटे-छोटे कणों ने एक दूसरे को अपनी ओर खींचना शुरू किया। धीरे-धीरे ये मिलकर एक बड़े गोले में तब्दील हो गए। वैज्ञानिकों का कहना है कि आज धरती का जो आकार है, वह पक्का नहीं है। ग्रैविटी अब भी इसकी सतह में बदलाव कर रही है, जिससे इसका आकार लगातार चेंज हो रहा है। यह खुलासा नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नई रिसर्च में हुआ है।

पृथ्वी की ऊपरी सतह में हो रहा मूवमेंट
ग्रैविटी के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह (क्रस्ट) में बहुत अधिक मूवमेंट हो रहा है। इससे पहाड़ों के बेल्ट खत्म हो रहे हैं। इससे वो पत्थर बाहर निकलकर दिखाई दे रहे हैं, जो पहले धरती के 24 किलोमीटर अंदर धंसे थे। इस प्रोसेस से मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्स नाम के ढांचे बन रहे हैं। इनके फॉर्मेशन को कई बार समझाने की कोशिश की गई है, लेकिन हर बार इनकी अलग-अलग परिभाषाएं निकलकर आई हैं। इसलिए यह रहस्य और गहराता जा रहा है।

अमेरिका के पर्वत बेल्ट्स पर रिसर्च
रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों ने दो अमेरिकी शहरों- फीनिक्स और लॉस वेगास में मौजूद खत्म हुई पहाड़ों की बेल्ट्स की जांच की। कंप्यूटर मॉडल की मदद से पता चला कि समय के साथ-साथ कैसे यहां के प्राचीन पहाड़ खत्म हुए। रिसर्चर्स की मानें तो मेटामॉर्फिक कोर कॉम्प्लेक्स धरती की सतही जड़ों के मोटे होने और फिर कमजोर होने के कारण बने हैं।

इन जगहों पर प्राकृतिक आपदाएं आना सामान्य
धरती की सतही जड़ों का खत्म होना आपदाओं को न्योता देता है। इस दौरान क्रस्ट अपने नीचे के भारी मैंटल (क्रस्ट के नीचे की लेयर) को हटाकर उसकी जगह लेने लगता है। इस प्रक्रिया में गर्मी होती है, फ्लुइड मूवमेंट होता है और पत्थर पिघलते हैं। पहाड़ की जड़ें कमजोर होकर बिखरने लगती हैं और पर्वत बेल्ट खत्म होने लगते हैं।

ऐसी जगहों पर भूकंप जैसी गंभीर आपदाएं आ सकती हैं। यहां धरती के अंदर की ग्रैविटी और बाहर होने वाला क्लाइमेट चेंज पूरे लैंडस्केप को बिगाड़ देता है। 2021 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, ये कॉम्बिनेशन स्तनधारी जानवरों के रहन-सहन को प्रभावित करता है। साथ ही अंदर मौजूद जीवाश्म को हिला-डुला सकता है।