गोरखपुर की शोध पर डेंगू का होगा इलाज,जानिए किसने किया यह शोध क्या विकसित हो सकेगा टीका

Gorakhpur Zone Health /Sanitation

गोरखपुर (www.arya-tv.com) डेंगू के मुख्यत: चार प्रकार होते हैं। इनमें तीन प्रकार- डेंगू 1, 2 व 3 की उपस्थिति पूर्वांचल में मिली है। इसमें डेंगू- 2 के मामले सबसे ज्यादा पाए गए हैं। शोध क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) की टीम ने डा. हीरावती के नेतृत्व में किया है। यह शोध यूएसए के जर्नल आफ मेडिकल वायरोलाजी में प्रकाशित हुआ है। हालांकि इसके आगे का शोध अभी जारी है।

दरअसल डेंगू का जो टीका अभी विकिसत हो सका है, वह वायरस के लगातार स्वरूप बदलने के चलते बहुत कारगर नहीं माना जाता है। इसलिए लगातार अभी शोध चल रहे हैं। डेंगू के वायरस के बदलते स्वरूपों का अध्ययन करने के लिए आरएमआरसी ने इस पर शोध का निर्णय लिया। इसके लिए जिला अस्पताल, बाबा राघव दास मेडिकल कालेज व गुरु श्रीगोरक्षनाथ चिकित्सालय में भर्ती 322 डेंगू के मरीजों के नमूने लिए गए थे। ये सभी नमूने एंटीजन जांच में पाजिटव थे। इनकी रीयल टाइम पालिमरेज चेन रियेक्शन (आरटीपीसीआर) जांच हुई तो पाजिटिव केवल 210 नमूने मिले। इन्हीं नमूनों पर शोध हुआ। इनमें सभी मामले डेंगू- 2 के थे। इसके बाद अभी शोध जारी है, जिसमें डेंगू- 1 व 3 के मामले भी सामने आए हैं। टीका विकसित करने में यह शोध मील का पत्थर साबित हो सकता है। एक ऐसा टीका विकसित किया जा सकता है जो डेंगू के सभी प्रकारों में कारगर हो।

जल-जमाव वाले क्षेत्रों में ज्यादा फैली बीमारी

शोध में पता चला है कि इस बीमारी ने उन लोगों को ज्यादा प्रभावित किया जो जल जमाव वाले क्षेत्रों में रहते हैं, खासकर जहां साफ पानी जमा होता है। शोध में मरीजों के रहन-सहन को भी शामिल किया गया है। ऐसे लोगों को डेंगू ने ज्यादा प्रभावित किया है जिनका खान-पान नियमित नहीं है। इन ङ्क्षबदुओं पर लोगों की जागरूकता बढ़ाई जाएगी, ताकि इस बीमारी की रोकथाम की जा सके।

दिल्ली, हैदराबाद व केरल से आया डेंगू

पूर्वांचल में जो डेंगू के वायरस मिले हैं। उनके जनक दिल्ली, हैदराबाद व केरल के हैं। यहां मिलने वाले डेंगू-2 का पूरा स्वरूप दिल्ली, हैदराबाद व केरल के वायरस से मिलता है। माना जा रहा है कि यह वायरस वहीं से आया है।

डेंगू- 2 से ठीक हुए लोगों के लिए खतरा

आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी डा. अशोक पांडेय ने बताया कि डेंगू के सभी प्रकार खतरनाक हैं और सभी के लक्षण लगभग एक ही हैं। यदि किसी को एक प्रकार का डेंगू हो चुका है तो उसके भीतर उसकी एंटीबाडी बन जाती है। लेकिन जब दूसरे प्रकार के डेंगू का वायरस उसके शरीर में जाता है तो एंटीबाडी क्रास रियेक्टिव हो जाती है। वह वायरस की मदद करने लगती है और एंटीबाडी के साथ वायरस जुड़कर खून में प्रवेश कर जाता है। इसलिए वह ज्यादा खतरनाक हो जाता है। आरएमआरसी के निदेशक डा. रजनीकांत का कहना है कि डेंगू के वायरस के बदलते स्वरूपों पर अध्ययन के लिए शोध का निर्णय लिया गया है। पहला शोध सामने आ चुका है। शीघ्र ही दूसरा शोध भी सामने आ सकता है। दूसरे शोध में डेंगू-1 व 3 के प्रकार भी सामने आए हैं। यह शोध टीका विकसित करने में अहम भूमिका निभाएगा। डेंगू के सभी प्रकारों के बारे में पता चल जाने पर सटीका टीका व इलाज विकसित हो सकेगा।