गर्वित की अनूठी महाशिवरात्रि

Lucknow

(www.arya-tv.com)नवी मुंबई स्थित ग्रामीण आदिवासी रिसर्च एंड वैदिक इनोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित के तत्वावधान में अमलनेर स्थित ध्यान केंद्र एवं बेंगलुरु में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशिष्ट तरीके से महाशिवरात्रि को मनाया गया।

शिवरात्रि के एक दिवस पूर्व अपने-अपने क्षेत्र में सनातन के माध्यम से सेवा करने वाले सम्मानित किए गए। सबसे पहले 78 वर्षीय पिछले 60 वर्षों से जड़ी बूटियां के ज्ञाता धूलिया अमलनेर मार्ग पर स्थित नवल नगर निवासी वैद्यराज चिन्दा तुलसीराम अहीरे को सम्मानित किया गया। ज्ञात हो वैद्यराज अनुसार भगवान दत्तात्रेय ने उनको 113 जड़ी बूटियां का ज्ञान कराया और 14 वर्ष की आयु से वह प्रायोगिक तौर पर लोगों का उपचार करनेलगे। वह एक किस्सा बताते हैं कि जब वह 7 वर्ष के थे तब अचानक संस्कृत के श्लोक उनके मुख से निकलने लगे और नवी कक्षा में उनके शत-प्रतिशत अंक आने लगे। अचानक वह आठवीं तक के बच्चों को संस्कृत पढ़ाने लगे और एक बार एक व्यक्ति के पेट सीने भयानक पीड़ा हो रही था तो उन्होंने अपना हाथ उसके पेट सीने पर रखा और उनके मुंह से धारा प्रवाह संस्कृत के श्लोक निकलने लगे जिसको देखकर एक अन्य संतवैद्य बहुत प्रभावित हुए और उनको जड़ी बूटियां का ज्ञान देने का काम आरंभ किया। यह भी ज्ञात हो मात्र लागत मूल पर अपने बनाए गए जड़ी बूटियां के द्वारा मधुमेह, किडनी, लीवर यहां तक की कभी-कभी कैंसर तक की रोगियों को ठीक करते हैं। विपुल लखनवी ने स्वयं मधुमेह का उपचार आपसे करवाया और लाभ प्राप्त किया।

दूसरे महापुरुष अधिवक्ता अमलनेर निवासी ए टी नेरकर जो पिछले 45 वर्षों से विभिन्न न्यायालय में केस लड़ते हैं लेकिन गरीबों के लिए उनका दिल बहुत बड़ा है और उनकी वे नि:शुल्क सहायता भी करते हैं।

गर्वित बाल सम्मान पुरस्कार मिला है कुमारी ऐश्वर्या के. को, जिन्होंने 5 वर्ष की आयु से ही भारतीयता को अपने अंदर समाहित करने हेतु भारतीय नृत्य का प्रशिक्षण आरंभ कर दिया। ज्ञात हो कि कुल 12 वर्ष की आयु में बंगीय संगीत परिषद से जूनियर डिप्लोमा पूर्ण किया। वे अपने जीवन में अपनी माताश्री धनलक्ष्मी और अपनी आचार्या श्रीमती अश्विनी जे रमन को अपना प्रेरणा स्त्रोत मानती हैं। अपने माता-पिता को धन्यवाद करते हुए उन्होंने इस महाशिवरात्रि के पर्व पर बंगलुरू में स्थित ज्योतिर्लिंग सोमेश्वर मंदिर में अपने भक्तिमय नृत्य से सबको तरंगित किया।

वहीं महाशिवरात्रि के अवसर पर बच्चों ब्राह्मण एवं साधकों का फलाहारी भोजन आयोजित किया गया। रात्रि में शिव अभिषेक आयोजित किया गया।
इस अवसर पर विपुल लखनवी के शरीर द्वारा मां काली और कृष्ण के आशीर्वाद से निर्मित सचल मन सरल वैज्ञानिक ध्यान विधि का प्रयोग भी किया गया और पिछले 30 वर्षों से अनुभवहीन साधना करने वाली सुश्री अंजुलि को सनातन के अनुभव हुए।

ज्ञात हो ध्यान की यह विधि बेहद अचूक है और इसके लिए विपुल जी दुनिया भर के नास्तिकों को नम्रतापूर्वक चुनौती भी देते हैं। यहां तक श्याम मानव को भी चुनौती दे चुके हैं।