BHU में दालों को बचाने के लिए हर्बल दवा बनी:वैज्ञानिक ने फार्मूला पेटेंट कराया; जल्द मार्केट में करेंगे लॉन्च

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(www.arya-tv.com) कीड़े, घुन और फफूद से खराब होने वाली दालों को बचाना आसान होगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रो. नवल किशोर ने हर्बल दवा तैयार की है। इसका इस्तेमाल दालों की स्टोरेज के वक्त करने से दालों को खराब होने से बचाया जा सकेगा। प्रो. नवल ने इसका पेटेंट भी करवा लिया है।

अजवाइन और लेमन ग्रास के रस से तैयार हुई दवा

उन्होंने बताया,” भारत में दालों को स्टोर करने पर 20 से 25% खराब हो जाती है। देखा जाए तो उपज कम होने से ज्यादा दालों के खराब होने से सप्लाई पर असर पड़ता है। अरहर, मूंग और उड़द की दाले, इन्हीं कारणों से 100 से 150 रुपए किलो तक बिकती हैं। ये बोझ आदमी को उठाना होता है। इसलिए इस दवा को बनाने का विचार आया।”

प्रो. नवल किशोर दुबे ने लेमन ग्रास और अजवाइन के पौधे के रस की मदद से हर्बल दवा बनाई है। पेटेंट होने के बाद अब टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने के प्रोसेज में है। जल्द ही, ये हर्बल दवा बाजार में दिखने लगेगी।

प्रो. दुबे ने कहा,”अनाज को कीड़ों से बचाने के लिए हम कपड़े में जहरीले रसायन लपेटकर रखते हैं। जो अनाज और उसे खाने वाले, दोनों के लिए नुकसानदायक हैं। दवा के असर वाले कीड़े अगर अनाज में लग जाएं तो इन्हें खाने से कैंसर भी हो सकता है।” उनका दावा था, “हर्बल दवा में एंटी कैंसरस गुण हैं। इसमें माइकोटॉक्सिन पाया जाता है, जो कि शरीर में पैदा होने वाले कैंसर को रोकता है।”

प्रयोग सभी अनाजों पर हुए, दाल पर ये ज्यादा कारगर
प्रो. दुबे बताते हैं,”डेढ़ साल पहले जब मैं एक दूसरे शोध पर काम कर रहा था। तब इस तकनीक का आइडिया मिला। एक दिन लैब में लेमन ग्रास और अजवाइन के पौधे के रस को मिलाकर थर्ड कंपाउंड बना रहे थे। उससे कुछ खुशबू निकली। कुछ दिन शोध करते हुए देखा कि पहले जो अनाज सड़ जाते थे, उन्हें होने वाला नुकसान धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

प्रो. दुबे ने इस दवा को अनाज के बीच में रख दिया। करीब एक साल तक कई तरह के अनाज में इस दवा को रखकर देखा गया। नतीजा ये रहा कि वो अनाज खराब नहीं हुए। हालांकि ये दवा दालों पर ज्यादा कारगर साबित हुई। उन्होंने पिछले साल भारत सरकार को पेटेंट के लिए अप्लाई किया और पिछले सप्ताह ये मंजूर हो गया है।