पूरे हफ्ते न करें कड़ी एक्सरसाइज, दो हफ्ते बाद ही 60% तक घट सकती है एनर्जी

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(www.arya-tv.com)इन दिनों हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग यानी HIIT का चलन तेजी से बढ़ रहा है। फिटनेस में रुचि रखने वाले तकरीबन सभी लोग इसे अच्छी तरह जानते हैं।

जैसा कि HIIT के नाम से से ही पता चलता है कि इसमें कुछ मिनटों के कड़े वर्क-आउट के बाद कुछ मिनट आराम किया जाता है। यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है।

वर्क-आउट की इस तकनीक को अब तक कम समय देकर बहुत अच्छी फिटनेस देने वाला माना जाता रहा है, लेकिन पिछले दिनों स्वीडन में हुए एक रिसर्च में पता चला कि कई हफ्ते तक लगातार सातों दिन HIIT करने पर दांव उल्टा पड़ सकता है।

साइंस जर्नल सेल मेटाबॉलिज्म में पब्लिश हुए इस रिसर्च के मुताबिक दो हफ्ते तक कोशिकाओं में ऊर्जा का बनना तेज हुआ, लेकिन बाद में अचानक 60% तक गिरावट आई। कुछ दिनों के आराम के बाद कोशिकाओं में ऊर्जा तो बढ़ी, फिर भी शुरुआती दो हफ्ते के मुकाबले वह 25% कम ही रही।

दो खास सलाह

  • HIIT में एक्सरसाइज बहुत ज्यादा न करें स्वीडिश स्कूल ऑफ स्पोर्ट एंड हेल्थ साइंसेस के रिसर्च स्कॉलर मिकेल फ्लॉकहार्ट और उनके साथी रिसर्चर फ्लिप लारसेन का इस अध्ययन के आधार पर कहना है कि अगर फिटनेस हासिल करनी है तो HIIT में एक्सरसाइज बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए। उनकी सलाह है कि खिलाड़ियों को हफ्ते में बिना आराम किए लगातार भारी वर्क-आउट वाले HIIT उन्हें बहुत ही जल्द ऐसी स्थिति में ले जाएंगे, जहां से उनका प्रदर्शन और ऊपर जाने के बजाय नीचे फिसलने लगेगा।
  • हफ्ते में कुछ दिन केवल वॉक करना चाहिए रिसर्चर्स अभी इस बदलाव की वजह का पता नहीं लगा सके हैं। उन्होंने कई संभावित वजह की जांच की, लेकिन कोई ठोस नतीजा निकलकर सामने नहीं आया। फ्लोकहार्ट की सलाह है कि HIIT करने वाले लोगों को इस ट्रेनिंग को हफ्ते में कुछ दिनों तक सीमित कर बाकी के दिन केवल वॉक करना चाहिए।

दरअसल, HIIT तकनीक में आम वर्क-आउट के मुकाबले काफी कम समय लगता है, लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य में काफी सुधार करने में सक्षम है। तेजी से सख्त वर्क-आउट करने से हमारी मांसपेशियों की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या बढ़ जाती है।

ज्यादा माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं और मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन हाल में ही सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में इसका दूसरा पहलू सामने आया।

11 स्वस्थ लोगों ने 4 हफ्ते तक तेज साइकिलिंग-आराम-तेज साइकिलिंग से किया HIIT वर्क-आउट

रिसर्चर्स ने स्टॉकहोम स्थित स्वीडन स्कूल ऑफ स्पोर्ट एंड हेल्थ साइंसेज और कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में 11 स्वस्थ स्त्री और पुरुषों पर चार हफ्ते तक अध्ययन किया। इन लोगों के साथ पूरी ताकत से तेज साइकिलिंग, फिर कुछ मिनट आराम की प्रक्रिया अपनाई गई। हर हफ्ते वर्क-आउट, ऐसे सेशंस की तीव्रता और संख्या बढ़ाई जाती रही।

  • पहले हफ्ते में उन्होंने HIIT के दो सेशन किए। इनमें वे पांच बार चार-चार मिनट के लिए जितनी तेजी से हो सका, साइकिलिंग करते थे। हर चार मिनट बाद वे तीन मिनट के लिए आराम करते थे।
  • दूसरे हफ्ते में इन वॉलंटियर्स के लिए HIIT का एक सेशन और बढ़ा दिया गया। यानी अब वे तीन सेशन करने लगे। अब चार मिनट की जगह पांच-पांच मिनट तक तेजी से साइकिलिंग करते थे।
  • तीसरे हफ्ते में HIIT के सेशन बढ़ाकर पांच कर दिए गए। हर सेशन में दो तरह के समय कर दिए गए। चार मिनट और आठ मिनट।
  • चौथे हफ्ते में एक्सरसाइज की तीव्रता को घटाकर आधा कर दिया गया। यानी सेशन भी आधे और समय भी।

शुरुआती दो हफ्तों में पॉजिटिव रिजल्ट
शुरुआती दो हफ्तों के अंदर राइडर्स तेजी से पैडल मार रहे थे और वे ज्यादा फिट होते नजर आ रहे थे। उनकी मांसपेशियों की कोशिकाओं में कुल माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या बढ़ गई। ये माइटोकॉन्ड्रिया पहले से ज्यादा ऊर्जा पैदा कर रहे थे। रोज का ब्लड शुगर भी नियंत्रित था।

तीसरे हफ्ते से शुरू हुई गड़बड़ी
तीसरे हफ्ते से गड़बड़ी शुरू हो गई। साइकिलिंग के दौरान वॉलंटियर्स में शक्ति पैदा करने की क्षमता घट गई। उनकी मांसपेशियों में पिछले हफ्ते के मुकाबले केवल 60% ऊर्जा पैदा हो रही थी। राइडर्स का ब्लड शुगर लेवल भी गड़बड़ा गया। पूरे हफ्ते उसमें तेजी से उतार-चढ़ाव आता रहा।

चौथे हफ्ते में सुधार, मगर 25% घटी ऊर्जा
इसके बाद एक हफ्ते तक वॉलंटियर्स ने बहुत कम तेजी से साइकिलिंग की। इससे उनकी मांसपेशियों में पैदा होने वाली शक्ति में बढ़ोतरी तो हुई। इसके बावजूद यह शक्ति दूसरे हफ्ते के मुकाबले 25% कम थी। राइडर्स का ब्लड शुगर लेवल स्थिर तो हुआ मगर यह भी पहले की तरह नहीं था।