लॉडाउन में प्रवासी एंव स्थानीय लोग इस बात से है खुश

Prayagraj Zone UP

प्रयागराज।(www.ayra-tv.com)गरीब मजदूर या प्रवासीयों के लिए ये सानती देने वाली खबर है इससे पहले कभी भी एक साथ ग्रामिण क्षेत्रों में मनरेगा में काम नहीं हुआ जिस प्रकार लॉकडाउन के वक्त हो रहा है या किसान काम करें रहे है। प्रवासी एवं स्थानीय लोगों के सामने समबे बड़ी समस्या यहीं थी कि अपने जीवन को किस प्रकार पटरी पर लाया जाएं ऐसे में मनजेगा उनका एक मात्र सहारा बन कर सामने आया है। लॉकडाउन के दौरान गांवों में पहुंचे प्रवासी कामगारों के साथ स्थानीय लोगों को काम देने में मनरेगा महत्वपूर्ण भूमिका में है। जिले में 2008-09 से शुरू हुए मनरेगा के तहत कभी भी एक दिन में 19 हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार नहीं मिला था। लॉकडाउन में इसे पीछे छोड़ते हुए एक दिन में 60 हजार कार्य दिवस रोजगार सृजित कर 1608 गांवों में काम चल रहा है। इसके चलते प्रयागराज मनरेगा के तहत काम देने में 10वें स्थान पर आ गया है। पहले यह जिला प्रदेश की टॉपटेन की सूची से बाहर था।

कोरोना वायरस के संकट काल में मनरेगा गांव के लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पहले जिस तरह से मनरेगा को लेकर शिकायतें आ रही थीं, अब इस महामारी के दौरान इस योजना ने सभी शिकायतों को पीछे छोड़ दिया है। लॉकडाउन में जहां काम का टोटा है वहीं इस योजना के तहत गांव में ही काम के अवसर प्रदान किए जा रहे हैैं। सबसे ज्यादा यमुनापार के कोरांव, मेजा, बारा और करछना इलाके में काम हो रहा है। हंडिया, सोरांव और फूलपुर में भी इस योजना के तहत कार्य कराए जा रहे हैैं।

  • – 11 हजार नए जॉबकार्ड बनाए गए हैैं लॉकडाउन के दौरान
  • – 02 लाख 10 हजार सक्रिय जॉबकार्ड धारक हैैं जिले में
  • – 30 हजार से ज्यादा काम चल रहे हैैं जिले के 1608 गांवों में
  • – 08 करोड़ रुपये के करीब लॉकडाउन के दौरान हुआ भुगतान।

मनरेगा के तहत बारिश की बूंदे सहेजने को बड़ा कदम उठाया जा रहा है। जल संरक्षण के लिए हर गांव में तालाब खोदाई और नाली सिंचाई के साथ ही पौधरोपण के लिए गड्ढों की खोदाई का काम चल रहा है। तालाबों में पानी इकट्ठा होगा तो जलस्तर मेंटेन होगा और फिर सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी। जल्द ही नाली-सोलिंग और अन्य काम भी शुरू होंगे।

जिन गांवों में कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैैं उन गांवों को हॉट स्पॉट घोषित किया गया है, वहां काम रोक दिया गया है। ऐसा कोरोना का संक्रमण न फैले इसलिए किया गया है। अलबत्ता वहां अन्य योजनाओं के तहत लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। जिन गांवों में काम चल रहा है, वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराया जा रहा है। मास्क अथवा गमछा आवश्यक कर दिया गया है।

बाहर से आए प्रवासी कामगारों के भी जॉब कार्ड बनाए जा रहे हैैं। इसके लिए गांव के रोजगार सेवक और ग्राम पंचायत अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है। जॉब कार्ड बनवाने में किसी प्रकार की दिक्कत होने पर मनरेगा उपायुक्त से संपर्क किया जा सकता है। हां, जो बाहर से आए हैैं उन्हें पहले 21 दिन होम क्वारंटाइन होना पड़ेगा, उसके बाद ही काम मिल सकेगा।

मनरेगा के उपायुक्त कपिल कुमार कहते हैं कि मनरेगा के तहत जिले के 16 सौ से ज्यादा गांवों में काम शुरू करा दिया गया है। इसमें काम करने वालों को हर हफ्ते भुगतान भी समय पर कराया जा रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी जोर दिया जा रहा है।