एक और ISI की साजिश भारत ने की नाकाम, ट्रैक्टर रैली के बहाने सामने आया मंसूबा
नई दिल्ली। एक साल बात भी लोगों के दिलों में लगी है आग, आज ही के दिन एक साल पहले दिल्ली में हुए उत्तर पूर्वी जिले के जाफराबाद इलाके में अचानक देखते ही देखते पूरे जिले में आग ही आग फैल गई। इसमें 53 लोगों की जान भी चली गई।
इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित और दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल भी दंगों का शिकार हो गए थे। दरअसल, उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को भले ही आज एक साल गुज़र गया हो, लेकिन वहां के लोगों को इससे लगे जख्म़ आज भी हरे हैं।
नागरिकता कानून में हुए संशोधन के विरोध में शाहीन बाग से शुरू हुआ विरोध उत्तर पूर्वी दिल्ली के उस छोर तक जा पहुंचा, जहां दो समुदायों के बीच में गाहे-बगाहे तनाव का माहौल दिखता रहा।
23 फरवरी से शुरू होकर कई दिन तक चले इन दंगों में दिल्ली पुलिस कुल 751 एफआईआर दर्ज कर चुकी है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) में दंगा मामलों पर बनी स्पेशल कोर्ट में लगातार सुनवाई भी चल रही है।
दंगों के मास्टरमाइंड माने जाने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कांग्रेस पार्टी की पूर्व पार्षद इशरत जहां अभी तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद हैं. वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में दाखिल की गई दंगों की चार्जशीट पर अभी सुनवाई जारी है।
बताते चलें कि 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी के जाफराबाद इलाके में दोपहर 3 बजे अचानक हुए दंगों में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम भी शामिल होने के आरोप लगे थे. लेकिन दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में कहीं भी उनका नाम दंगों में शामिल नहीं बताया गया है.