2010 से ही IAS पूजा सिंघल सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा रही हैं पैसा -ED

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(www.arya-tv.com) CM हेमंत सोरेन के खिलाफ माइनिंग लीज आवंटन और शेल कंपनी से जुड़े उनके करीबियों के मामले पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान ED की ओर से पेश  बंद लिफाफे को खोला गया। कोर्ट को ED के वकील तुषार मेहता ने बताया, ‘2010 में 16 FIR हुई थी। इसके बाद ED ने अपनी जांच में पाया कि करोड़ों रुपए पूजा सिंघल के पास हैं। उन्हें मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचती थी। रिश्वत के पैसों को शेल कंपनी के माध्यम से मनी लॉड्रिंग की जाती थी। जांच में कुछ लोगों ने यह स्वीकार किया है कि मनी लॉड्रिंग होती थी। एक व्यक्ति ने मनी लॉड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दी है।’

इसके बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मनरेगा से जुड़ी 16 FIR की डिटेल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। अब अगली सुनवाई 19 मई को होगी। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, ‘इस मामले को CBI को क्यों दिया जाए, जबकि इस मामले में किसी तरह की FIR दर्ज नहीं है।’ इस पर याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने दलील देते हुए कहा, ‘जनहित से जुड़े मुद्दों पर अदालत जांच का आदेश पारित कर सकती है।’ साथ ही उन्होंने अदालत को जानकारी दी कि यह मामला पूजा सिंघल के मामले से जुड़ा है।

कपिल सिब्बल ने सरकार का तो तुषार मेहता ने ED का पक्ष रखा

शेल कंपनी के मामले में सरकार की तरफ से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। वहीं, माइनिंग लीज प्रकरण मामले की सुनवाई में CM हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकुल रहतोगी ने पक्ष रखा। जबकि, ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने पक्ष रखा।

कई राज्यों से लेनी होगी जानकारी

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी ने कोर्ट को बताया कि वह झारखंड की सिर्फ चार कंपनियों की जानकारी दे सकता है। झारखंड की यह चार कंपनियां उनके अधीन हैं। इसके अलावा जिन 45 कंपनियों का जिक्र है, उनकी जानकारी पटना, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और कोलकाता के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी कार्यालय से मांगी जा सकती है।

शिवशंकर शर्मा ने CM के खिलाफ दायर किया है PIL

इस मामले में शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि CM के करीबी लगभग 400 शेल कंपनी चलाकर कमाई कर रहे हैं। इनमें झारखंड से कमाई गई राशि से होटल, मॉल सहित अन्य संपत्ति खरीदी गई है। इस पर हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को प्रतिवादी बनाया और जानकारी मांगी।