NSE के पूर्व प्रमुख रवि नारायण गिरफ्तार:ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में की गिरफ्तारी

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(www.arya-tv.com)  एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व सीईओ और एमडी रवि नारायण को गिरफ्तार किया। नारायण पर को-लोकेशन स्कैम और कर्मचारियों की फोन टैपिंग से जुड़े होने का आरोप है।

2017 में नारायण ने NSE से दिया था इस्तीफा
वह अप्रैल 1994 से 31 मार्च 2013 तक एक्सचेंज के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर थे। बाद में 1 अप्रैल से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बोर्ड में नॉन-एग्जीक्यूटिव कैटेगरी में वाइस-चेयरमैन के रूप में नियुक्त हुए। 1 जून 2017 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

चित्रा रामकृष्ण को भी किया था गिरफ्तार
ईडी ने इससे पहले इस मामले में NSE की एक अन्य पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था। CBI भी इन मामलों की समानांतर रूप से जांच कर रही है। CBI ने भी उन्हें को-लोकेशन मामले में गिरफ्तार किया था।

पुलिस आयुक्त संजय पांडे अरेस्ट
एजेंसी ने 19 जुलाई को फोन टैपिंग मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने अदालत को बताया था कि एनएसई में “फोन कॉल की जासूसी” पांडे और उनके परिवार के सदस्यों की एक कंपनी के जरिए की जा रही थी।

2009 और 2017 के बीच फोन टैपिंग
ईडी ने जुलाई में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे और एनएसई के पूर्व प्रमुखों के खिलाफ 2009 और 2017 के बीच कर्मचारियों के फोन टैप करने के आरोप में एनफोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (ECIR) दर्ज की थी।

क्या है को-लोकेशन स्कैम?
NSE को-लोकेशन मामले में FIR साल 2018 में दर्ज की गई थी। दरअसल, शेयर को खरीदने और बेचने वाले देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी।

इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। कुछ ब्रोकर्स को सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। SEBI को इस बारे में एक सूचना मिली थी। इसमें कहा गया था कि NSE के ऑफिसर की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।