महामारी के कारण पर्यावरण में देखने को मिल रहा सकारात्‍मक बदलाव

Environment

(www.arya-tv.com)  कोविड-19 ने जहां एक ओर दुनिया भर में कई विकट चुनौतियां पैदा की हैं, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक सौंदर्य के अद्भुत व जीवंत नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। इतिहास गवाह है कि अतीत में जब-जब इस प्रकार की भयानक महामारियां आई हैं, तब-तब पर्यावरण ने सकारात्मक करवट ली है। यकीनन कोरोना संक्रमण काल में प्रकृति का यह रूप मानवीय जीवन के लिए भले ही क्षणिक राहत वाला हो, परंतु जब संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म हो जाएगा, तब क्या पर्यावरण की यही स्थिति बरकरार रह पाएगी? जब सभी देशों के लिए विकास की रफ्तार को तेज करना न केवल आवश्यक होगा, बल्कि मजबूरी भी होगी, तब क्या ऐसे कदम उठाए जाएंगे जो प्रकृति को बिना क्षति पहुंचाए सतत विकास की ओर अग्रसर हो सकेंगे।

पर्यावरणीय समस्या का यह अल्पकालिक सुधार न तो स्थायी समाधान है और न ही वांछनीय परिणाम। हालांकि वर्तमान स्थिति को प्रकृति की ओर से दी हुई चेतावनी समझनी चाहिए जो मनुष्य की जीवन शैली और विकास प्रक्रिया के तौर-तरीकों को बदलने का अवसर प्रदान करता है। इतिहास ऐसे कई उदाहरणों से भरा पड़ा है जो यह साबित करता है कि महामारियों का गहरा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है, परंतु महामारी के फौरन बाद आर्थिक विकास की रफ्तार को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर अमर्यादित दोहन भी किया गया है। ऐसे में कोरोना महामारी से उत्पन्न अल्पकालिक पर्यावरणीय सुधार से बहुत अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि मानव, प्रकृति और आर्थिक विकास के अंतर्संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है।