पेयजल योजना की फाइलें हुई गायब, शासन स्तर पर हो रही जांच

UP Varanasi Zone

वाराणसी।(www.arya-tv.com) शहर में जेएनएनयूआरएम के तहत क्रियान्वित पेयजल योजना में हुई धांधली की फाइलें गायब हो गई हैं। यह जानकारी दो दिन पूर्व हुई तो खोजबीन के बाद सहायक अभियंता कुलदीप प्रजापति ने सोमवार को सारनाथ थाने में तहरीर दी।

इस मामले में शासन स्तर से हो रही जांच में अब तक अधीक्षण अभियंता आरपी पांडेय समेत 19 अफसरों को निलंबित किया जा चुका है जबकि 17 सेवानिवृत्त अफसरों से वसूली का आदेश जारी है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

उक्त फाइलें तत्कालीन अधिशासी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव ने सारनाथ के बरईपुर स्थित जल निगम कार्यालय में रखवाई थी। जिस आलमारी में उन्हें रखा गया था उसकी निगरानी की जिम्मेदारी कैशियर हर्ष जायसवाल की है।

अधिशासी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव का वर्तमान में बलिया स्थानान्तरण हो गया है लेकिन उन्होंने अब तक किसी को फाइनेंशियल चार्ज नहीं दिया है जबकि अन्य प्रभार गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन को दिया गया है।

इन फाइलों में उन ठीकेदारों व फर्म के नाम सहित एफडी भी थी जिन्होंने पेयजल योजना में काम किया था। इसके अलावा उन्हें किए गए भुगतान से संबंधित दस्तावेज व उपकरणों की खरीद के कागजात भी शामिल थे। फाइलों के गायब होने के पीछे साजिश की आशंका जाहिर की जा रही है क्योंकि उसमें करोड़ों रुपये की धांधली के कई राज छिपे हैं।

गंगा जल स्रोत से नगर में प्राथमिकता वाली तीन परियोजनाएं बनाई गईं जिनकी स्वीकृति अक्टूबर 2008 में मिली। तीनों परियोजनाओं का अनुमानित बजट करीब 700 करोड़ रुपये था। परियोजना को जमीन पर लाने के लिए शहर को दो हिस्सों में बांटा गया।

वरुणापार इलाके को ट्रांस वरुणा का नाम दिया गया जबकि दूसरे हिस्से को सिस वरुणा। ट्रांस वरुणा के लिए करीब 209 करोड़ रुपये व सिस वरुणा के लिए करीब 227 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित हुआ। वहीं 50 हजार नए कनेक्शन व एक लाख 58 हजार घरों में वॉटर मीटर लगाने के लिए करीब 111 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ।

ट्रांस व सिस वरुणा की परियोजना वर्ष 2010 में प्रारंभ हो गई जिसे दो साल के अंदर पूरा करना था लेकिन कार्य अब तक नहीं हो सका। वक्त बीतने से लागत बढ़ गई और तीनों परियोजना का पुनरीक्षित बजट 700 करोड़ तक पहुंच गया। इस दरम्यान बसपा व सपा का कार्यकाल रहा।