- धर्म निरपेक्ष कानून है समान नागरिक संहिता, देश में लागू होने से होगी हर नागरिक के हितों की रक्षा : डॉ. राजेश्वर सिंह
लखनऊ। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने से देश के सभी धर्मों, पंथों और समुदायों के लोगों के लिए एक ही कानून होगा। यूसीसी भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाने और एकीकृत करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे देश में धर्मनिरपेक्षता व सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा होगी, न्यायपालिका पर बोझ कम होगा, महिला सशक्तिकरण होगा तथा देश की प्रगति की तीव्रता बढ़ेगी। यह बातें बीजेपी विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने राष्ट्रीय विचार अभियान द्वारा आयोजित समान नागरिक संहिता विषय पर सेमिनार में कहीं।
गोमती नगर स्थित कसाया इन में आयोजित इस सेमिनार में डॉ. राजेश्वर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। यहां उन्होंने वर्तमान परिवेश में यूसीसी की आवश्यकता, इसके लागू होने से आने वाले परिवर्तन तथा इसके सकारात्मक पहलुओं से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म का पक्ष नहीं लेता। यह धर्मनिरपेक्ष कानून संहिता है। संविधान का अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 26 धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है, असल में यह धर्म की सच्ची व्याख्या है, यही सच्चा लोकतंत्र की परिभाषा है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि अगर यूसीसी लागू होता है तो देशभर में सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेने और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे। ऐसे ही गोद लेने को लेकर मुस्लिम, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म में कोई कानून नहीं है, लेकिन यूसीसी के लागू होने से गोद लेने का कानून सभी के लिए होगा। इससे माता पिता बच्चे के सुख से वंचित भी नहीं रहेंगे और अनाथ बच्चों का कल्याण होगा।
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि यूसीसी के लागू होने से महिलाओं के अधिकारों और हितों की भी रक्षा होगी। मुस्लिम धर्म में बेटियों की शादी को लेकर कोई तय उम्र सीमा नहीं है लेकिन यूसीसी के लागू होने से देश की हर बेटी को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकेगा। तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं को हलाला का सामना नहीं करना पड़ेगा। सिखों समुदाय को भी समान अधिकार मिलेगा। यूसीसी दोनों पति-पत्नी को समान अधिकार देगा। मुस्लिम कानून में प्रत्येक बहन को संपत्ति का एक हिस्सा और भाई को दो हिस्से मिलते हैं। यूसीसी सभी महिलाओं को समान उत्तराधिकार प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि इस्लाम में सामाजिक प्रतिबंध जैसे महिलाओं को अकेले यात्रा न करने दें, उसकी पसंद के अनुसार कपड़ों चुनने तक का अधिकार नहीं है, काम पर जाना या कार आदि चलाने पर पाबंदी है लेकिन यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार मिलेगें। यूसीसी के आने से 21वीं सदी में महिला अधिकारों की रक्षा होगी, बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होगा इससे देश को आगे बढ़ने और विकसित होने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि भारत में गोवा एकमात्र राज्य है जहां यूसीसी लागू है। दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, मिस्र और आयरलैंड में यूसीसी लागू है। सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो केस 1985, सरला मुद्गल केस 1995, पाउलो कॉटिन्हो बनाम मारिया लुइज़ा वेलेंटीना परेरा 2019 जैसे विभिन्न मामलों में यूसीसी को लागू करने की बात कही है।
बता दें कि डॉ. राजेश्वर सिंह निरंतर यूसीसी को लागू करने के प्रबल पक्षधर हैं। सोशल मीडिया पर भी वो लगातार इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं। कुछ दिन पहले डॉ. राजेश्वर सिंह ने देश की भावी पीढ़ियों की रक्षा और सभ्यता के पोषण के लिए सभी नागरिकों से विधि आयोग के साथ अपनी बहुमूल्य राय साझा करने का आवाहन किया था।
कार्यक्रम में अध्यक्षता वरिष्ठ संघ प्रचारक राजेंद्र सिंह ‘पंकज’ ने की जिसमें विधान परिषद सदस्य अवनीश कुमार सिंह तथा प्रमुख सचिव, विधान परिषद डॉ. राजेश सिंह मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। राष्ट्रीय विचार अभियान के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीनानाथ श्रीवास्तव, संगठन सचिव रवितेश प्रताप सिंह व महासचिव पंकज सिंह भी मौजूद रहे।