फोरम में बनारस के रिवाज और मिजाज पर मंथन

Varanasi Zone

वाराणसी (www.arya-tv.com) दैनिक जागरण फोरम का सोमवार को वाराणसी में आयोजन शुरू हुआ तो ताज होटल का पूरा सभागार खचाखच भरा नजर आया। आयोजन के दौरान बदलते उत्तर प्रदेश और विकास की संभावनाओं पर मंथन किया जाना है। समारोह का उद्घाटन राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्द करेंगे तो समापन के दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ऑनलाइन शामिल होंगे। आयोजन में शामिल होने के लिए पूर्वांचल में वाराणसी, प्रयागराज और आस पास के जिलों से सम्‍मानित जनों को आमंत्रित किया गया है।

समापन सत्र को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने दोपहर बाद 3.30 बजे संबोधन किया। इससे पूर्व पूरे दिन के आयोजन के बारे में उनको अवगत कराया गया। पांचवें सत्र में वाराणसी के कमिश्‍नर दीपक अग्रवाल ने काशी विश्‍वनाथ धाम परियोजना पर आडियो विजुअल के जरिए कारीडोर की संकल्‍पना को पेश किया। पॉवर प्‍वाइंट के जरिए बाबा दरबार की एतिहासिकता और उसके वर्तमान की योजनाओं पर फ‍िल्‍म के जरिए काशी में आस्‍था के केंद्र को दर्शाया। परियोजना में पर्यटकों की सुविधा, धर्म, आध्‍यात्मिक परियोजना से इतर आर्थिक परियोजना के तौर पर स्‍थापना की संकल्‍पना को मंच से साझा किया। प्रापर्टी खरीद से लेकर लोगोंं के पुनरस्‍थापना और विकल्‍पों की रूपरेखा खींचकर बाबा दरबार के वैभव को स्‍थापित करने की योजना को उन्‍होंने सामने रखा। योजना के जीर्णोद्धार के लिए अधिकारियों और पीएम और सीएम की प्रेरणा की जानकारी रखकर योजना की महत्‍ता को सामने रखा।

फोरम के चौथे सत्र में बनारस के रिवाज और मिजाज पर उत्‍तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्‍यक्ष डा. राजेश्‍वराचार्य ने बनारसीपन पर विचार व्‍यक्‍त किए। प्रो. मिताली ने इस सत्र का संचांलन संभाला तो बनारसी पन भी मंच पर नजर आया। पद्मश्री राजेश्‍वराचार्य ने काशी के कंकर कंकर को शंकर कहा तो सभागार तालियों से उन्‍मुक्‍त भाव से गूंज उठा। बताया कि गुरु-मालिक और राजा कौन है, इन पर काशी वासी नित्‍य रचता और बनारसीपन का भाव काशी में बसता है। शिव अनंत हैं लिहाजा काशी भी अनंत है। काशी मृत्‍यु मोक्ष की जन्‍म भूमि है।

कलाविद अमिताभ भट्टाचार्य ने बनारसी पन पर जिज्ञासा की आवश्‍यकता की महत्‍ता को बताया तो पत्रकारीय नजरिया भी पेश किया। बनारसी रबडी, मलाई के साथ करेले के भी व्‍यक्तित्‍व को मंच पर उतारा। हरिवंश राय बच्‍चन की अर्थी को याद किया और काशी सबकी साथी पर अपने अनुभवों को जीवंत किया। बनारस की बनावट और बसावट को लेकर वैश्विक संरचना के काशी में जीवंतता पर केयरलेस होने की महत्‍ता को भी बताया। काशी कबहुं न छोड़‍िए के भावों को विस्‍तार दिया। दारा सिंह के बिना लड़े ही बनारस छोड़ने की यादें जीवंत हुईं तो तानसेन के सुरों की भी बनारसी तान को उन्‍होंने छेड़ा।

प्रो. अरुणा सिन्‍हा ने बनारसी इतिहास को याद किया। पुराण और उपनिषदों के साथ बनारस के इतिहास को रेखांकित किया। कहा कि इतिहास वहीं है जो पुराण और उपनिषदों में दर्ज है। इसके बाद बनारस और काशी एक ही है। शिव का साक्षात ज्‍योर्तिंग है और उनके त्रिशूल पर बसी नगरी सभी धर्मों का मूल है। काशी अविमुक्‍त है और रिवाजों की अभिव्‍यक्ति मिजाजों की अभिव्‍यक्ति पेश करती है।

फोरम के तीसरे सत्र में उत्‍तर प्रदेश की सड़कों और उसके संजाल को लेकर मंथन किया गया। आजमगढ़ के मंडलायुक्‍त विश्‍वास पंत ने प्रदेश के प्रमुख मार्गों के निर्माण के बाबत जानकारी दी। कहा कि बुंदेलखंड एक्‍सप्रेस वे से लेकर पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे तक पूरा सड़कों का संजाल प्रदेश के कारोबार को और भी गति देगा। यूपीडा (उत्‍तर प्रदेश एक्‍सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी) के चीफ इंजीनियर मनोज गुप्‍त ने कहा कि यूपी सड़कों का जाल बिछा कर विकास को गति दी जा रही है। सभी एक्‍सप्रेस वे का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। बुंदेलखंड एक्‍सप्रेस वे और गोरखपुर लिंक एक्‍सप्रेस वे का काम तेजी से जारी है। गंगा एक्‍सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य लगभग पूरा हो गया है। वक्‍ताओं ने बताया कि अमेरिका की सड़कों से तुलना करना अलग बात है लेकिन रेल यातायात में हम विश्‍व में कहीं अधिक समृद्ध हैं।

फोरम के दूसरे सत्र में कृषि पर चर्चा के दौरान देश के एकमात्र भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (वाराणसी) के निदेशक डा. जगदीश सिंह ने आधुनिक खेती के बारे में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए लोगों की सेहत हैं। सब्जियों की उन्नतशील प्रजातियों के विकास, उत्पादन तकनीकी, तुड़ाई उपरांत प्रबंधन प्रौद्योगिकी और पादप रसायनों का मानव पोषण एवं स्वास्थ्य सुरक्षा में योगदान संबंधी विषयों पर मंथन किया गया। गाजर सहित तमाम प्रकार की सब्जियों से लोगों की इम्‍यूनिटी को और बेहतर करने की संभावनाओं और उनके निर्यात पर भी मंथन किया गया।बनारस में एपीडा का कार्यालय होने के लाभ के बारे में भी अवगत कराया गया। साथ ही ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती के तौर तरीकों पर भी मंथन किया गया। कृषि विज्ञानियों ने अवगत कराया कि प्रयास को बल मिला तो किसानों की आय दो गुना होना मुश्किल नहीं।

अपर मुख्‍य सचिव नवनीत सहगल ने समारोह के अगले सत्र में उत्तर प्रदेश में कारोबारी संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में अपने विचार साझा किए तो उद्यमी आर के चौधरी ने कारोबारी चुनौतियों के बारे में भी अपने विचार रखे। नवनीत सहगल ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के बाद अब कारोबार दोबारा आगे बढ़ चला है।

राष्‍ट्रपति ने किया समारोह का उद्घाटन

सुबह 11.45 बजे राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविन्‍द ने जागरण फोरम का दीप प्रज्‍ज्वलन कर उद्घाटन किया। इससे पूर्व राष्‍ट्रगान जागरण पब्लिक स्‍कूल के छात्रों ने किया। समारोह में राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल और प्रथम महिला सविता कोविन्द भी मौजूद रहीं। राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोरोना की वजह से मेरे विचार से साल भर की देरी से आयोजन हो पा रहा है, हमको भी सावधान रहना है। जागरण परिवार से मेरा वर्षों का संबंध रहा है, जब राज्यसभा में था तो नरेंद्र मोहन जी मेरे सहयोगी थे। लखनऊ से चलकर कानपुर में नरेंद्र मोहन जी टिफिन लाते थे, ट्रेन के खाने से उन्होंने मुझे वंचित रखा। मैंने उनसे अधिक सीखा है। कभी-कभार मुलाकात होती थी तो प्रधानमंत्री अटल जी से एक साथ ही मुलाकात होती थी। मेरा मानना है कि नरेंद्र मोहन जी की सोच ने लोगों का मनोबल बढ़ाया है। जागरण परिवार से मेरा संबंध रहा है।

गंगा को नदी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह संस्कृति की संवाहक है। एक बार बिस्मिल्ला खान को मुम्बई में बसने का आग्रह लोगों ने किया। उनका उत्तर था- यहां बस तो जाऊंगा, लेकिन मुम्बई में गंगा कहाँ से लाओगे? ताज होटल के दरबार हॉल में आयोजित समारोह की तैयारियों के बीच सुबह आयोजन स्‍थल पर भारी सुरक्षा के बीच प्रशासनिक अधिकारियों ने सुबह तैयारियों का जायजा लिया। सुबह 11 बजे तक सभागार पूरी तरह से भर गया और लोगों ने आयोजन पर आपस में मंथन भी शुरू किया।