(www.arya-tv.com) मणिपुर के हालात पर संसद में चर्चा हो रही है, विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया है और उसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में आर-पार की जंग चल रही है। लेकिन दिल्ली से दूर अगर मणिपुर की बात करें तो वहां भी एक बहस छिड़ी है जो असम रायफल्स और स्थानीय पुलिस के बीच है। मणिपुर पुलिस ने कुछ मामलों में असम रायफल्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं, यहां तक कि एफआईआर भी दर्ज की है। हालात ये हो गए हैं कि सेना को बयान जारी करना पड़ा है। ये पूरा मामला क्या है,
एक एफआईआर और राजनीतिक लड़ाई
मणिपुर में 3 मई से ही हिंसा चल रही है और उसे रोकने के लिए राज्य की पुलिस के अलावा असम रायफल्स और सेना की अन्य टुकड़ियां ग्राउंड पर तैनात हैं। इसी बीच पिछले हफ्ते मणिपुर पुलिस ने असम रायफल्स पर एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया कि दो गुटों के बीच जब हिंसा जारी थी उस दौरान असम रायफल्स ने स्थानीय पुलिस का रास्ता रोका और उनके काम में व्यवधान पैदा किया। हालांकि इस एफआईआर पर असम रायफल्स ने साफ किया कि हम कुकी-मैइती इलाकों में जारी हिंसा में बफर जोन बनाने के आदेश का पालन कर रहे थे।
पुलिस और असम रायफल्स की लड़ाई अब राजनीतिक रूप भी ले चुकी है. राज्य के बीजेपी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि राज्य में असम रायफल्स की जगह किसी और सुरक्षाबल की यूनिट को तैनात किया जाए, ताकि हालात सुधर सकें। बीजेपी यूनिट ने लिखा है कि राज्य में पहले दिन से ही असम रायफल्स के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े हुए हैं और वह शांति स्थापित करने में फेल साबित हुई है। ऐसे में जरूरत है कि असम रायफल्स को यहां की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए।
असम रायफल्स की छवि खराब करने की कोशिश: सेना
सेना की ओर से मंगलवार को बयान जारी किया गया कि वह असम रायफल्स के साथ मिलकर मणिपुर में शांति स्थापित करने की कोशिशें करती रहेगी. सेना ने कहा कि यहां पर असम रायफल्स की छवि बिगाड़ने की कोशिशें की दई हैं, जबकि असम रायफल्स ग्राउंड लेवल पर उतर हिंसा से प्रभावित इस क्षेत्र में हालात सामान्य करने में जुटी हुई है।
सेना ने कहा कि कुछ उपद्रवियों द्वारा लगातार असम रायफल्स की छवि बिगाड़ने की नाकाम कोशिशें की गई हैं, ये कोशिश बार-बार की जा रही है जो तथ्यों के बिल्कुल उलट है। यह समझना चाहिए कि इलाके की जटिलता की वजह से ऐसा मौका आता है जब ग्राउंड लेवल पर आपके मतभेद होते हैं, लेकिन इनको समय-समय पर हल कर लिया जाता है।
आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई से हिंसा की शुरुआत हुई थी, कुकी और मैतई समुदाय के बीच जारी जातीय संघर्ष ने पूरे राज्य में हिंसा का रूप ले लिया था। पिछले तीन महीने से जारी इस बवाल में अभी तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, तमाम कोशिशों के बाद भी अभी तक हिंसा रुकने का कोई ठोस सॉल्यूशन नहीं निकला है। इस बीच देश की संसद में विपक्ष द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री मणिपुर मसले पर अपनी चुप्पी तोड़ें इसलिए हम ये प्रस्ताव लाए हैं।