महुआ रिपोर्ट पर संसद में चर्चाः यह संसद है, कोर्ट नहीं… जब मनीष तिवारी पर भड़क गए स्पीकर बिरला

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(www.arya-tv.com) पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा में पेश एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट पर आज लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस मनीष तिवारी के एक बयान पर उन्हें कोर्ट और संसद की बात बता दी।

दरअसल, बहस के दौरान मनीष तिवारी ने कहा कि इस सदन में बैठे हम सभी जज हैं और किसी ऐसे मामले पर हमें जल्दबाजी में फैसला नहीं करना चाहिए। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ये संसद है कोर्ट नहीं।

हम यहां सामूहिक निर्णय करते हैं। तिवारी पर भड़कते हुए बिरला ने कहा कि हमारा काम सामूहिक निर्णय करना होता है। हम जज नहीं हैं।

संसद और न्यायपालिका में बताया अंतर

लोकसभा स्पीकर बिरला ने इसके बाद तिवारी को संसद और न्यायपालिका में अंतर भी बता दिया। उन्होंने कहा कि यहां निर्णय सभा कर रही है। उन्होंने तिवारी को चेताया कि आप गलत तरीके से चीजों को नहीं रखे, ये रिकॉर्ड में जाती है। ये सभा निर्णय कर रही है।

तिवारी की व्हिप वापस लेने की मांग

मनीष तिवारी ने कहा कि सभा पार्टियां 3 लाइन व्हिप वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि ये न्याय के अधिकार के खिलाफ है। एथिक्स कमिटी के पास किसी को सजा देने का अधिकार नहीं है। ये गलत है। उन्होंने कहा कि हम सदन में जज के रूप में सदन में बैठे हैं।

तिवारी ने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा नहीं देखा है। जब कोई सभा न्याय करने बैठी हो तो एक व्हिप के माध्यम से उनको ये हिदायत दी जाए कि आपको फैसला एक तरीके से करना है। संविधान के अनुच्छेद में 105 में सांसदों को शक्ति और प्रिविलेज की शक्ति देती है।

तिवारी ने इस अनुच्छेद में संसद में सांसद जो कुछ भी कहे उसपर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। इसे कोर्ट में भी चुनौती में नहीं दी जा सकती है। 105 (2) में सांसदों को विशेषाधिकार है।