राज्यसभा में अमित शाह ने पेश किया दिल्ली सेवा बिल, लोकसभा में पहले ही हो चुका है पास

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(www.arya-tv.com) लोकसभा से पास होने के बाद दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पेश किया। राज्यसभा में आम आदमी पार्टी ने पूरी फील्डिंग तैयार कर रखी है। यहां लड़ाई INDIA बनाम NDA की है। विपक्ष की तमाम पार्टियां इस बिल के विरोध में हैं। कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट में वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह बिल संघीय ढांचे के खिलाफ है। बिल 3 अगस्त को लोकसभा से ध्वनि मत से पास हुआ था। राज्यसभा में भी विपक्ष के लिए राह आसान नहीं है।

कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट में वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिल संविधान के खिलाफ है। ऐसा पहली बार होगा जब दो सचिवों के नीचे सीएम को रखने का प्रावधान किया जा रहा है। दिल्ली में सुपर सीएम बनाने की कोशिश है। बिल में सुपर सीएम, सुपर बॉस का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बीजेपी की कोशिश किसी भी तरह से नियंत्रण करने की है… विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है। मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है। बिल दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर सीधा हमला है। यह संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है।

दिल्ली सर्विस बिल लोकसभा से ध्वनि मत से पास हुआ था। दिल्ली में सेवाओं पर कंट्रोल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मई में फैसला सुनाया और सर्विसेज का अधिकार एक चुनी हुई सरकार यानी दिल्ली सरकार को दिया था। इसी फैसले को पलटते हुए केंद्र ने एक हफ्ते बाद अध्यादेश जारी कर दिया। राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जिनमें से आठ खाली हैं। फिलहाल कुल सीटों की संख्या 237 है। राज्यसभा में विधेयक को पारित करने के लिए बहुमत का आंकड़ा 119 होगा। दूसरी ओर, संयुक्त संख्या के साथ कांग्रेस समेत आप को समर्थन देने वाली सभी पार्टियों की संख्या 105 है।

आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने बिल को अलोकतांत्रिक और अंसैवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि दो करोड़ लोगों की वोट की पावर को कम करने वाला बिल है। संघीय ढांचे पर प्रहार करने वाला बिल है। इस बिल का जमकर विरोध किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यसभा में बिल को रोक पाएंगे? सुशील गुप्ता ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश होगी कि इस बिल को रोकें।

बिल पर वोटिंग होगी और लोकतांत्रिक पार्टियां बिल के विरोध में वोट करेंगी। आम आदमी पार्टी के सांसद ने बताया कि एक सेक्रेट्री एजुकेशन मूव किया गया है। उसके अंदर प्रस्ताव है कि कोई भी अध्यादेश अगर सरकार लेकर आती है तो उसका 6 महीने में बिल लाना होता है। जब भी लाती हैं तो उनको बताना होता है।

दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने कहा कि देश के लिए दुख की बात है कि संसद में, चुनाव से चुने जाने वाले लोग चुनी हुई सरकार कि ताक़त छीनने कि कोशिश कर रहे हैं। संविधान ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को जो पावर दी है। उस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है लेकिन भाजपा को पता है कि जनता उन्हें चुनेगी नहीं। इसलिए वे दिल्ली वालों के वोट की ताक़त छीन रहे है। अगर यह बिल पास होता है और क़ानून बनता है तो लोकतंत्र की इज्जत पर तमाचा होगा।