डॉ. माधव सक्सेना का निधन, साहित्यिक क्षति -विपुल लखनवी

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  • विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत

(www.arya-tv.com)वरिष्ठ वैज्ञानिक -साहित्यकार डॉ. माधव सक्सेना का कल शाम पौने छह बजे मुंबई के बीएआरसी अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उन का जन्म 17 मार्च,1945 को फतेहगढ़ ( उ.प्र.) में हुआ था। अपने पीछे वह पत्नी मंजू श्री सहित दो पुत्री और पुत्र छोड़ गए है। उनके पुत्र और छोटी बेटी अमेरिका से आज देर रात आयेगे, तब उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को चेंबूर में किया जायेगा।

वैसे साधारण तौर पर माधवजी स्वस्थ्य ही थे। लेकिन हाल ही में फोर्टिस अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। सब कुछ ठीक हुआ था। वह अतिरिक्त देखभाल और विश्राम के लिए भाभा केंद्र के अस्पताल में भर्ती हुए थे। उन्हें डिस्चार्ज दिया जाना था, लेकिन इसी बीच वह सबको छोड़ चले गए।

माधव जी त्रैमासिक पत्रिका “कथाबिंब” के संपादक -संचालक थे। भाभा परमाणु केंद्र से अवकाश के बाद से उनकी साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियां बढ़ गयी थी। कुछ माह पहले ही उन्होंने कथा बिंब का प्रकाशन कथाकार प्रबोध गोविल को सौंप दिया था। अब मुंबई से प्रकाशित होने वाला कथाबिंब का मुकाम जयपुर हो गया है। वहां से प्रकाशित पहला अंक कल ही आया है। श्री माधव जी ने भाभा परमाणु केंद्र की साहित्यिक पत्रिका वैज्ञानिक को शुरू कराने में उनका अमूल्य योगदान था।

माधव जी से मेरा परिचय 33 वर्ष पुराना है। सामाजिक, साहित्यिक कार्य और कवि सम्मेलन से उनसे मेरी पहचान हुई थी। पिछले माह मार्च में ही उन्होंने अपने घर पर कुछ साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्र के लोगों को आमंत्रित कर अपनी संस्था “संस्कृती संरक्षण संस्था” को बंद करने का निर्णय सुनाया था। धीरे धीरे वह जिम्मेदारियों से मुक्त हो रहे थे, पर वह इतनी जल्दी लम्बी यात्रा पर निकल जायेंगे ऐसा नहीं लगा था। लेकिन नियति को यही मंजूर था। उनके निधन से विज्ञान और साहित्य क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है।