भारत में ड्रग रजिस्टेंट टीबी के केस सबसे ज्यादा:हर साल 4.90 लाख संक्रमितों की हो रही मौत

# ## Agra Zone

(www.arya-tv.com) भारत में 40 प्रतिशत लोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हैं। जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, टीबी के लक्षण आने लगते हैं। हर वर्ष टीबी से 4 लाख 90 हजार मौत हो रही है। इसे 90 प्रतिशत तक कम करना है और 95 प्रतिशत तक टीबी के संक्रमण को कम करने की चुनौती है। एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट व यूपी टीबी एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित नेटकॉन-2022 में टीबी मुक्त भारत अभियान पर चर्चा की गई।

मंबई से आए डा सुनील अहपड़े बताया कि एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी के केस सबसे ज्यादा भारत में हैं। टीबी से भारत में हर वर्ष 4.90 लाख मौत हो रही हैं।

टीबी के मामले में विश्व का 28 प्रतिशत भार भारत पर है। भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा टीबी मुक्त भारत अभियान अहम है, 2025 तक इस लक्ष्य तक पहुंचना है।

इसमें निजी चिकित्सकों की भागेदारी बढ़ानी है अभी भी 50 प्रतिशत टीबी के मरीज निजी चिकित्सकों पर इलाज करा रहे हैं। जबकि टीबी का सरकारी इलाज निशुल्क है और महीने मरीज के खाते में 500 रुपए पहुंचते हैं। निजी डाक्टर से इलाज कराने वाले मरीज भी निशुल्क इलाज कराएं, इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर में 60 प्रतिशत इजाफा
फेफड़ों के कैंसर को टीबी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। डा. केवी गुप्ता ईश मेडिकल कॉलेज लखनऊ ने बताया कि चेहरे पर सूजन, गले की आवाज बैठना, कांख और गर्दन में गांठ, कफ के साथ खून आना फेफड़ों के कैंसर का लक्षण है, पहले यह पुरुषों में ज्यादा मिलता था लेकिन अब महिलाओं में भी मिलने लगा है, पिछले कुछ वर्षों में 60 प्रतिशत महिलाओं के फेफड़ों के कैंसर में इजाफा हुआ है। महिलाएं चूल्हे पर रोटी बनाती हैं इसलिए भी यह समस्या बढ़ी है।

अस्थमा में दवाओं के बजाय इन्हेलर ज्यादा कारगर
पटियाला मेडिकल कालेज की डा. क्रांति गर्ग ने बताया कि बच्चों में अस्थमा बढ़ रहा है लेकिन उनके माता पिता इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। बच्चों को अस्थमा की दवा नहीं मिल रही हैं इससे बीमारी बढ़ने लगी है। बच्चों में अस्थमा बढ़ने का एक बड़ा कारण बाहर धूल मिटटी में न खेलना है, इससे उनके अंदर सूक्ष्मण कणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो रही है। बच्चों में अस्थमा की समस्या होने पर इन्हेलर से इलाज किया जाता है और इसके रिजल्ट अच्छे हैं, बीमारी ठीक भी हो जाती है।

टीबी मुक्त भारत के लिए हुई बैठक

नेटकॉन में उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फ़ोर्स (राष्ट्रीय क्षय उन्नमूलन कार्यक्रम) की कार्यशाला क्षय एवं वक्ष रोग विभाग द्वारा आयोजित की गई। प्रदेश के 71 मेडिकल कालेज की कोर कमेटियों के अधिकारी व प्रदेश के 75 जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों ने भाग लिया।

कार्यशाला में मेडिकल कालेज में चलाए जा रहे राष्ट्रीय क्षय रोग उन्नमूलन कार्यक्रम पर चर्चा हुई। स्टेट टीबी ऑफिसर ने कमजोर जिले या मेडिकल कालेज हैं उनका योगदान बढ़ाने पर (25-30 प्रतिशत तक योगदान हो) जोर दिया। जिनका योगदान कम था उन्हें चेतावनी दी गई।

इस अवसर पर नेशनल टॉस्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त, डब्ल्यूएचओ कन्सलटेंट डॉ. संजय सूर्यवंशी, एसएन मेडिकल के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता, एसएन मेडिकल कालेज वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार, आयोजन समिति के सचिव डॉ. जीवी सिंह, शैलेन्द्र भटनागर, स्टेट टॉस्ट फोर्स के उपाध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, स्टेट टीबी डिमोन्स्ट्रेशन सेन्टर के डॉ. संजीव लवानिया आदि था।