किन्नर और महिला में कस्टडी की जंग, बिजनेसमैन का डीएनए टेस्ट… UP के बाल गृह में जिंदगी काट रही बच्ची की कहानी

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से जुड़ा एक विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है। इस विवाद के केंद्र में एक 9 साल की बच्ची है। बच्ची पिछले एक साल से वह राजकीय बाल गृह (शिशु) में जिंदगी बिता रही है। लड़ाई उसकी कस्टडी को लेकर है।

एक तरफ फर्रुखाबाद की एक किन्नर दावेदार है तो दूसरी तरफ उस बच्ची को 8 साल पालने वाली मां ने मोर्चा खोला हुआ है। इस केस में तीसरा पक्ष भी है, ये हैं आगरा के एक बिजनेसमैन। दावा है कि ये उस बच्ची के बायोलॉजिकल पिता हो सकते हैं, मामले में अब डीएनए रिपोर्ट का इंतजार चल रहा है। पढ़िए पूरी कहानी…

किन्नर को झाड़ियों में मिली नवजात बच्ची

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार किन्नर अंजली ने बताया कि 28 नवंबर 2014 की सर्द सुबह करीब 4 बजे वह अपनी मंडली के साथ फर्रुखाबाद में एक शादी समारोह में शामिल हाेने के बाद कायमगंज अपने घर लौट रही थी। रास्ते में उसे एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।

उसके गुरु ने मना किया लेकिन वह नहीं मानी और बच्चे के पास पहुंची। यहां झाड़ियों में छोटी सी नवजात बच्ची दिखी। उसे देखकर लग रहा था कि जन्म के बाद से ही उसे यहां छोड़ दिया गया है। उसने बताया कि मंडली ने उसका विरोध किया क्योंकि उसके गुरुजी का मानना था कि किन्नर बच्चे नहीं पालते हैं।

उन्होंने इसे अपने घर ले जाने से इंकार कर दिया। अंजली ने बताया कि वह उस समय किराए के कमरे में रहती थी। उसने अपने रूम पार्टनर को 2000 रुपये दिए और कहा कि आगरा में उसके जान-पहचाने वाले के घर इस बच्ची को लेकर जाए। उसने जल्दी से अपने जान पहचान वाले मीना देवी और अरमान खान के नाम माचिस की डिबिया पर पेंसिल से नोट लिख दिया।

मीना ने सात साल बच्ची को पाला

इधर मीना याद करते हुए बताती हैं कि एक अजनबी शख्स छोटी सी बच्ची को गोद में लिए और हाथ में माचिस की डिबिया पर नोट लिखा लेकर आया। मीना ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं और वह इस बच्ची को गोद नहीं लेना चाहती थी लेकिन उसकी बड़ी बेटी जिद करने लगी।

बच्ची काफी कमजोर थी इसलिए देखरेख के लिए मैंने अपने पास रख लिया। मीना के अनुसार की जिंदगी अच्छी बीत रही थी, बच्ची बड़ी हो रही थी लेकिन 7 साल बाद अचानक अंजली आई और बच्ची को फर्रुखाबाद ले गई।

…और शुरू हुआ बच्ची की कस्टडी को लेकर विवाद

वहीं मीना के दावे का विरोध करते हुए अंजली ने बताया कि उसके और मीना के बीच आपसी सहमति बनी थी कि जैसे ही बच्ची बड़ी हो जाएगी, वह उसके साथ रहेगी। इसके बाद मामला तब और पेचीदा हो गया, जब अंजलि ने बच्ची को लौटाने से मना कर दिया। इसके बाद मीना ने पुलिस से संपर्क किया।

मामला बाल कल्याण समिति, आगरा (सीडब्ल्यूसी) तक पहुंचा। 20 दिन बाद अंजलि से बच्चे को लेकर सीडब्ल्यूसी के सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद 22 दिसंबर 2021 को सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को मीना के सुपुर्द करने का फैसला किया क्याेंकि जन्म के फौरन बाद से मीना ही उसे पाल रही थी।

सीडब्ल्यूसी के फैसले से केस और जटिल हो गया

लेकिन अंजली सीडब्ल्यूसी के इस फैसले से खुश नहीं थी। उसने अगस्त 2022 में मीना पर बच्चे के पालन पोषण में लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करा दी। इसके बाद सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को वापस ले लिया और मामले में सोशल इन्वेस्टिगेशन जांच बिठा दी।

सीडब्ल्यूसी के अनुसार मीना ने उन्हें बताया कि उनका परिवार किराए के मकान में रहता है और उनके पास कोई निश्चित आय का स्रोत नहीं है। इसे देखते हुए अब सीडब्ल्यूसी ने फैसला दिया कि ऐसा परिवार जिसके पास कोई तय आय का स्रोत नहीं है, ये बच्ची के हित में नहीं है।

केस में तीसरे शख्स नितिन की एंट्री

इसके बाद मीना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन यहां कस्टडी की ये लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया। आगरा सीडब्ल्यूसी ने एक व्यापारी नितिन के बारे में पता चला,

जिसकी दो महीने की बच्ची 18 नवंबर 2015 में घर से किडनैप कर ली गई थी। अंजलि के बयान पर गौर करें तो जो बच्ची उसे मिली थी वह इस तारीख तक एक साल की हो चुकी थी।

मामले में नितिन ने बताया कि इस केस में क्लोजर रिपोर्ट 2017 में फाइल कर दी गई थी। लेकिन सीडब्ल्यूसी आगरा की तरफ से उनसे संपर्क किया गया क्योंकि मेरी बेटी की किडनैपिंग में किन्नर पर शक था।

जब उम्र की बात सामने आई तो सीडब्ल्यूसी की तरफ से कहा गया कि किडनैपर कभी सच नहीं बताएगा। नितिन के अनुसार उसने 28 नवंबर को ब्लड सैंपल जमा किया। छह हफ्ते में इसकी डीएनए रिपोर्ट आनी थी और 29 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख तय हुई।

वहीं मीना के केस में सीडब्ल्यूसी का यूटर्न कई सवाल छोड़ गया। हाईकोर्ट में मीना की अपील दाखिल करने में सहायता करने वाले आगरा के बाल अधिकार एक्टिविस्ट नरेश पारस कहते हैं

कि अगर मीना पालन-पोषण के लिए फिट नहीं थी तो सीडब्ल्यूसी ने पहली बार किसकी जांच के आधार पर उसे फिट माना था। आठ साल बच्ची जिस परिवार में रही, उससे उसे दूर करने का निर्णय कैसे सही है?

बहरहाल, मामले में अब तीनों पक्ष (अंजली, मीना और नितिन) को डीएनए टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार है।