राज्यपाल आरएन रवि और स्टालिन सरकार के बीच एक बार फिर खड़ा हुआ विवाद, विवाद से है इनका पुराना नाता

National

(www.arya-tv.com) तमिलनाडु में इस वक्त एक नया बवाल मचा हुआ है। वजह है राज्यपाल आरएन रवि का एक फैसला जिसकी इस वक्त खूब चर्चा हो रही है। दरअसल गुरुवार को खबर आई कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद बिजली और आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया गया है।

हालांकि ये फैसला मुख्यमंत्री की सिफारिश के बिना लिया गया था। इसलिए इस पर रोक लगा दी गई। जानकारी के मुताबिक राज्यपाल इस मामले में अटॉर्नी जनरल से सलाह लेंगे। इस मामले से राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है।

हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है जब राज्यपाल और तमिलनाडु सरकार के बीच इस तरह की स्थिति सामने आई है। सितंबर 2021 में आरएन रवि के तमिलनाडु के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद से तनाव बना हुआ है।

पिछले साल स्टालिन सरकार ने ये आरोप लगाते हुए आरएन रवि के कार्यक्रमों को बहिष्कार करने का ऐलान किया था कि स्टालिन सरकार द्वारा की गई कई कैबिनेट सिफारिशों और एक दर्जन पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्पाल ने देरी की। इनमें मेडिकल प्रवेश के लिए एनईईटी को समाप्त करने का विधेयक भी शामिल था।

इसके बाद तमिलनाडु का नाम बदलकर तमिझगम करने की राज्यपाल की वकालत पर भी वह और तमिलनाडु सरकार आमने-सामने आ गए थे। राज्यपाल ने तर्क देते हुए कहा था कि ‘नाडु’ शब्द का मतलब राष्ट्र से हैं, जो अलगाववाद की ओर इशारा करता है।

इन विवादों के बीच डीएमके के मुखपत्र मुरासोली ने अपने संपादकीय में कहा था, राज्यपाल रवि तमिलनाडु में भाजपा के बचे हुए वोट आधार को भी बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने के बजाय, राजनीति खेल रहे हैं। लगता है उन्होंने तमिलनाडु में बीजेपी चीफ की जिम्मेदारी निभाने का भी फैसाल किया है।

पूर्व आईपीएस ऑफिसर आरएन रवि 2012 में सर्विस से रिटायर हुए थे। उन्होंने जॉइंट इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और बाद में भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने। लेकिन उनका सबसे हाई-प्रोफाइल कार्यभार नागा शांति वार्ता के लिए केंद्र का वार्ताकार नियुक्त होना रहा। बाद में विवादों के चलते उन्हें इस पद से हटना पड़ा।

2019 में उन्हें नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। हालांकि तमिलनाडु की तरह यहां भी कई मुद्दों पर विवाद खड़ा हो गया था। उनकी नियुक्ति के एक साल के अंदर ही उनके एनएससीएन आईएम के साथ मधुर संबंधों में खटास आ गई। इसके बाद साल 2020 में नागा समूहों के साथ वार्ता बाधित हो गई क्योंकि एनएससीएन आईएम ने आरएन रवि के साथ बात करने से इनकार कर दिया था। बाद में वार्ता को आगे बढ़ान के लिए केंद्र को इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक टीम को शामिल करना पड़ा था।

आरएन रवि पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने एग्रीमेंट की फ्रेमवर्क को तोड़मरोड़ कर पेश किया संसद की स्थाई समिति को गुमराह किया। इसके बाद एनएससीएन आईएम ने केंद्र से वार्ताकार बदलने की अपील भी की थी।

इसके बाद कई मुद्दों को लेकर आरएन रवि के राज्य सरकार से भी संबंध खराब हो गए जिसके बाद उन्हें तिसंबर 2021 में तमिलनाडु ट्रांसफर कर दिया गया और उन्होंने नागा शांति वार्ता में वार्ताकार के पद से इस्तीफा दे दिया।