यूपी में कांग्रेस की नई रणनीति से सपा को लगेगा झटका! अखिलेश यादव मानेंगे ये फैसला?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी दो साल से ज्यादा का वक्त बाकी है. हालांकि सभी दलों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. कहीं जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं, तो कहीं बदले जाने हैं. कहीं इस बात की तैयारी शुरू हो रही है कि सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी को कैसे मुद्दों पर घेरा जाए तो कहीं सत्तारूढ़ दल, विपक्ष की पूर्ववर्ती सरकारों के फैसलों और अपनी सरकार के काम आधार पर घेरने की तैयारी में जुटे हैं.

इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नए संकेत दे रही है. राज्य स्थित बाराबंकी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद और कांग्रेस नेता तनुज पुनिया ने इस आशय का दावा किया है.

सांसद ने दावा किया है कि पार्टी साल 2027 के चुनाव के लिए तैयार है. दलित वर्ग के वोट कांग्रेस के साथ जुड़ रहे हैं. झांसी में कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने कहा है कि बसपा से गठबंधन का  प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी ने भी 2019- 2022 में प्रयास किया था लेकिन बसपा की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन हम बसपा से गठबंधन का प्रयास करते रहेंगे.

तनुज के बयान के क्या हैं मायने?
तनुज के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. अभी तक तनुज के बयान पर बसपा की ओर से जवाब के तौर पर सिर्फ चुप्पी है. दूसरी ओर माना जा रहा है कि जिस तरह से दिल्ली विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल का साथ देने का संकेत दे रही है, ऐसे में यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन, विधानसभा चुनाव तक शायद ही चल पाए.

बता दें लोकसभा चुनाव 2024 के पहले जब इंडिया अलायंस का गठन हुआ तब यह दावा कई बार किया गया कि बहुजन समाज पार्टी भी इसका हिस्सा होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कई बार यह बयान जारी किया कि उनकी पार्टी किसी भी दल या गठबंधन के साथ नहीं जाएगी.

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के लिए नतीजे सिफर रहे और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती. वहीं सपा के खाते में 36 सीटें आईं. सियासी मामलों के जानकारों की मानें तो बसपा का वोट बैंक सपा और कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ जिसका नुकसान पार्टी को लोकसभा चुनाव में हुआ. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि साल 2027 के विधानसभा चुनाव में क्या बसपा, कांग्रेस के साथ आएगी? वह भी तब जबकि सपा भी साथ होगी. साथ ही सवाल यह भी है क्या सपा चीफ अखिलेश यादव इस रणनीतिक फैसले को चुनाव के पहले मानने को राजी होंगे!