अफगानिस्तान में जल्द शुरू हो जाएंगी कमर्शियल उड़ानें, कतर के साथ तु​र्की संभालेगा पांच एयरपोर्ट

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(www.arya-tv.com) अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद तमाम प्रतिबंध लग गए थे और तालिबान को मिलने वादी मदद भी मिलना बंद हो गई थी। तालिबान का सत्ता में बने रहना आसान नहीं था लेकिन अब तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार की मुश्किलें आसान होती दिख रही हैं। नॉर्वे में पश्चिमी देशों के राजनयिकों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद अब हवाई अड्डों के प्रबंधन का मसला भी जल्द  ही हल हो सकता है। देश के पांच हवाई अड्डों के प्रबंधन के लिए तालिबान तुर्की और कतर की मदद लेगा। इसके लिए दोनों देशों के साथ संयुक्त समझौते के लिए होने वाली बातचीत में प्रगति देखी गई है। इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने दी।

लंबे समय से युद्ध की आग में जल रहे अफगानिस्तान पर बीते साल तालिबान ने कब्जा कर लिया था। जिसके बाद देश पर तमाम तरह के प्रतिबंध लग गए। अमेरिका ने इसके फंड फ्रीज कर दिए। तभी से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार लगातार वैश्विक मान्यता हासिल करने की कोशिशें कर रही है। साथ ही देश के लिए फंड जारी करने की मांग कर रही है। स्थानीय टोलो न्यूज के अनुसार, शुक्रवार को एक बयान में परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री इमामुद्दीन अहमदी ने कहा कि विवरण पर चर्चा की गई है लेकिन कई सामान्य फैसले लिए जा चुके हें। बातचीत अभी भी जारी है और हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

कतर के विदेश मंत्रालय ने घोषणा करते हुए बताया है कि तुर्की, कतर और तालिबान से सदस्यों के बीच गुरुवार को दोहा में त्रिपक्षीय बैठक हुई है। मंत्रालय ने कहा कि तीनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडल कई मामलों में सहमत हुए हैं। जैसे काबुल एयरपोर्ट का प्रबंधन और संचालन किस तरह करना है। हालांकि मंत्रालय ने आगे विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी। अफगानिस्तान सिविल एविएशन अथॉरिटी (एसीएए) के पूर्व चेयरमैन मोहम्मद कासिम वफायेजादा ने तालिबान से समझौते की शर्तें इस तरह तैयार करने को कहा है, जिससे कतर और तुर्की की कंपनियां अफगानिस्तान की स्थानीय कंपनियों के साथ काम कर सकें।

अफगानिस्तान पर जब से तालिबान ने कब्जा किया है, तभी से देश में कमर्शियल उड़ानें स्थगित हैं। अब हवाईअड्डों को विदेशी कंपनियों को सौंपे जाने से इन उड़ानों के फिर से शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। दूसरी तरफ देश में आर्थिक संकट भी काफी बढ़ गया है। नकदी की भारी कमी है। जिससे बड़ा मानवीय संकट गहरा रहा है। लोगों के पास खाने तक के पैसे नहीं हैं। ऐसे में तालिबान के लिए देश चलाना काफी मुश्किल हो गया है। जिसके चलते वो तमाम हाथ पैर मार रहा है, ताकि उसकी सरकार को मान्यता मिल जाए।