सीएमडी सुरेश नारायणन ने कहा- फूड इंफ्लेशन से एफएमसीजी कंपनियों को भी लगता है डर

Health /Sanitation

(www.arya-tv.com) फूड इंफ्लेशन से सिर्फ हमारा या आपके घर का ही बजट (Budget) ही नहीं बिगड़ता है। इससे कारपोट जगत भी प्रभावित होते हैं। अब एफएमसीजी सेक्टर (FMCG Sector) की मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले (Nestle India) को ही लीजिए। नेस्ले इंडिया के सीएमडी सुरेश नारायणन का कहना है कि उनके लिए भी फूड इंफ्लेशन चिंता का कारण है। उनका कहना है कि लांग टर्म में कमोडिटी की प्राइस (Commodity Price) में होने वाले उतार-चढ़ाव पर नजर रखना महत्वपूर्ण है। वैसे भी अभी बारिश में 30 फीसदी की कमी की बात की जा रही है। इसका असर तो फसल पर पड़ना तय है।

क्या कहा नेस्ले चीफ ने

सुरेश नारायणन ने गुरुवार को कहा कि यूं तो सरकार कीमतों पर काबू रखने के लिए प्रयासरत है। लेकिन तब भी फूड इंफ्लेशन चिंता का कारण है। इसलिए और दीर्घकालिक प्रभाव के लिए कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अल-नीनो का असर अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, हमें अभी भी फूड इंफ्लेशन की आशंका पर नजर रखनी होगी। नारायणन ने कहा, “खाद्य मुद्रास्फीति के मामले में दबाव होगा। सरकार द्वारा उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों के कारण सकल मुद्रास्फीति कम हो जाएगी, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी चिंता का कारण है।”

दूध की बढ़ी कीमतों के पीछे क्या

दूध की बढ़ी कीमतों पर नारायणन ने कहा कि इसमें कुछ स्ट्रक्चरल इश्यू भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने दुधारू पशुओं पर कोविड के बाद के प्रभाव के बारे में बात की। उस समय दुधारू पशुओं में हो रही लंपी स्किन डिजीज और कुछ अन्य कारक हावी थे। इस वजह से प्रोडक्शन प्रभावित हुआ, साथ ही कीमतें भी बढ़ी। किसानों की भी लागत बढ़ी है। पशुओं का चारा करीब 40 फीसदी महंगा हो गया है। इसलिए उन्हें प्रतिपूर्ति करना आवश्यक है। हालांकि उन्होंने फिलहाल राहत की सांस ली क्योंकि अभी दूध के लिए फ्लड सीजन चल रहा है। जब लीन सीजन आएगा, तब कुछ दिक्कत हो सकती है।

अब नेस्ले मिलेट में भी

आज ही नेस्ले ने मोटे अनाज (Pearl Millet) से बने खाद्य पदार्थ के सेक्टर में भी उतरने की घोषणा की। कंपनी ने फिलहाल बाजरे की खिचड़ी को बाजार में उतारा है। शुरुआत दिल्ली और एनसीआर के बाजार से हुई है। बाद में इसे अन्य बाजार में भी पेश किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मोटे अनाज पर केंद्र सरकार का काफी जोर है। साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर (International Millet Year) भी घोषित किया गया है। नेस्ले का कहना है कि यदि इस सेक्टर में उन्हें ग्राहकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली तो इस बास्केट में कुछ और प्रोडक्ट शामिल किये जाएंगे।