सीसीएसयू: जानिए पीएचडी थीसिस में कट-पेस्ट पर कैसे लगी रोक

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मेरठ (www.arya-tv.com) चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में शोध की साख लौटने लगी है। कुछ साल पहले तक शोध-पत्र यानी पीएचडी थीसिस में 50-60 प्रतिशत तक कट-पेस्ट (साहित्यिक चोरी) की शिकायत थी। यह अब एक से दो प्रतिशत ही रह गई गई है। इसका एक कारण एंटीप्लेगियरिज्म साफ्टवेयर को भी माना जा रहा है। फिलहाल विश्वविद्यालय शोधार्थियों को मौलिक और उपयोगी विषय पर शोध करने पर भी जोर दे रहा है।

मानकों से अधिक कट-पेस्ट पर स्वीकार नहीं होता शोध-पत्र

विश्वविद्यालय में शोधार्थी सुपरवाइजर को थीसिस भेजने के साथ इसकी साफ्ट कापी विश्वविद्यालय में भी जमा कराते हैं। इसे साफ्टवेयर पर रखकर देखा जाता है कि थीसिस में कितने फीसद कंटेंट दूसरे जगह से कट-पेस्ट है। निर्धारित मानकों से अधिक कट-पेस्ट मिलने पर शोध-पत्र को स्वीकार नहीं किया जाता। इससे शोध का स्तर भी सुधरा है।

10 प्रतिशत तक कट एंड पेस्ट स्वीकार्य

शोध-पत्र कंटेंट में 10 प्रतिशत तक कट-पेस्ट स्वीकार कर लिया जाता है। 10 से 40 प्रतिशत कट एंड पेस्ट पाए जाने पर थीसिस लौटा दी जाती है। छह माह के भीतर इसे संशोधित करके शोधार्थी जमा कराते हैं। 60 प्रतिशत कंटेंट कट एंड पेस्ट मिलने पर एक साल के अंदर दोबारा शोध-पत्र जमा करने को कहा जाता है।

इन्‍होंने कहा

थीसिस में इंटरनेट से कापी करके जोड़े गए कंटेंट को यह साफ्टवेयर पकड़ लेता है। साफ्टवेयर और सुपरवाइजर की लगातार स्क्रीनिंग होने से शोध का स्तर भी सुधरा है। अब कट-पेस्ट की शिकायतें कम आ रही हैं। इस साफ्टवेयर की वजह से शोध-पत्रों में मौलिक लेखन भी बढ़ रहा है।