एक से ज्यादा निकाह कर सकते हैं, पत्नियों से करें समान बर्ताव, हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

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(www.arya-tv.com) मद्रास हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इस्लामिक कानून के तहत बहुविवाह का अधिकार है, लेकिन उन्हें सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करना होगा।

अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो यह क्रूरता के दायरे में आएगा। पति की ड्यूटी है कि वह अपनी पत्नी की सही तरह से देखभाल करे।

हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को जारी रखा

हाई कोर्ट ने इस मामले में फैमिली कोर्ट के उस फैसले को बहाल रखा है जिसमें क्रूरता के ग्राउंड पर पहली पत्नी के फेवर में तलाक की डिक्री पारित की गई थी। हाई कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर किया कि पति और उसके परिवार वालों ने शुरुआत में पहली पत्नी को प्रताड़ित किया।

गर्भावस्था में भी उसके साथ सही व्यवहार नहीं हुआ। इससे तंग आकर पहली पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया। बाद में मुस्लिम पुरुष ने फिर शादी कर ली और दूसरी पत्नी के साथ वह रहने लगा था।

हाई कोर्ट ने कहा कि पुरुष ने अपनी पहली पत्नी और दूसरी पत्नी को एक तरह से ट्रीट नहीं किया, जबकि इस्लामिक कानून के तहत पुरुष के लिए यह बाध्यता है कि वह पत्नियों को एक तरह से रखे।

‘क्रूरता पर मांगा जा सकता है तलाक’

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि क्रूरता के मामलों में अदालत को वैवाहिक संबंध बहाल करने का आदेश पारित करने से पहले अन्य परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए।

इसके साथ ही कोर्ट ने एक व्यक्ति की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें अलग रह रही पत्नी के कहने पर पारिवारिक अदालत द्वारा अपनी शादी को तोड़ने को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने हेमसिंह उर्फ टिंचू द्वारा दायर पहली अपील को खारिज करते हुए कहा कि एक बार क्रूरता साबित होने पर तलाक मांगा जा सकता है।

हालांकि, उसके बाद पार्टियां अपना आचरण कैसा रखेंगी, यह एक प्रासंगिक तथ्य हो सकता है।