समय के साथ बदलता है Breast Milk का गुड बैक्टीरिया, नवजात के लिए इम्यूनिटी शॉट के समान है मां का दूध, शोध में यह बात हुई सत्य

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(www.arya-tv.com) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ ही दुनियाभर के ज्यादातर डॉक्टर्स यही सलाह देते हैं कि जन्म से लेकर 6 महीने की उम्र तक नवजात शिशु (Infant) को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. मां का दूध (Breast Milk) शिशु के लिए अमृत होता है- ये तो हम सदियों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि मां का दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी (Immunity) बढ़ाने में कई तरह से फायदेमंद है.

मां के दूध से बच्चे के शरीर में पहुंचता है गुड बैक्टीरिया

ब्रेस्ट मिल्क में कई तरह के फायदेमंद बैक्टीरिया (Good Bacteria) पाए जाते हैं जिसमें समय के साथ काफी बदलाव होता है. ये फायदेमंद बैक्टीरिया मां के दूध के जरिए बच्चे के शरीर में पहुंचते हैं जो नवजात शिशु के लिए इम्यूनिटी और मेटाबॉलिज्म बूस्टर शॉट यानी बीमारियों से बचाने वाले टीके की तरह काम करता है. कनाडा स्थित मॉन्ट्रियल और गौटेमाला के वैज्ञानिकों ने इस नई रिसर्च को पूरा किया जिसे फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

शिशु को सुरक्षित रखता है मां का दूध

शोधकर्ताओं ने ब्रेस्ट मिल्क में माइक्रोबायोम (microbiome) यानी सूक्ष्म जीवों की एक पूरी श्रृंखला की पहचान की है. माइक्रोबायोम बैक्टीरिया की ये प्रजाति ब्रेस्ट मिल्क में क्या अहम भूमिका निभाती है इस बारे में अब तक वैज्ञानिकों को बेहद कम जानकारी थी. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि ये गुड बैक्टीरिया नवजात शिशु के जठरांत्र (gastrointestinal) यानी पाचन तंत्र को सुरक्षित रखते हैं और किसी भी तरह की एलर्जी से बचाकर लंबे समय तक बच्चे की सेहत को खराब होने से बचाते हैं.

इस स्टडी के ऑथर इमैनुअल गोन्जालेज कहते हैं, हमने सैंपल ब्रेस्ट मिल्क में बैक्टीरिया की जिन प्रजातियों का पता लगाया है, वे सभी बाहरी तत्वों या xenobiotics को नष्ट करने और विषाक्त पदार्थों के साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ भी सुरक्षा देने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. यह नई रिसर्च इस बात के महत्व को बताती है कि कैसे एक मां अपने शिशु की इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता की नींव रखने में मदद करती है.

ब्रेस्ट मिल्क सैंपल की जांच की गई

ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद माइक्रोबायोम यानी गुड बैक्टीरिया के बारे में अधिक जानने के लिए, वैज्ञानिकों ने हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके ब्रेस्ट मिल्क के सैंपल का विश्लेषण किया. इस दौरान वैज्ञानिकों ने 6 से 46 दिन के बीच के ब्रेस्ट मिल्क की तुलना 109 से 184 दिन के बीच के ब्रेस्ट मिल्क से की. ऐसा करने से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली की ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद गुड बैक्टीरिया में समय के साथ क्या बदलाव होता है और वह नवजात शिशु की सेहत पर कैसा असर डालता है.