(www.arya-tv.com) मध्य प्रदेश के सीएम के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मामा शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा न जाता कर मोहन यादव पर भरोसा किया है। राजनीतिक जानकर मानते हैं कि मोहन यादव के जरिए बीजेपी ने ओबीसी समाज को साधने की कोशिश की है।
वहीं, इस एक तीर से बीजेपी बिहार और उत्तर प्रदेश के यादव समाज को भी साधने की कोशिश की गई हैं। जानकर इसे मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। हालांकि बिहार में राजद ने इस बात को सिरे से नकार दिया है।
राजद प्रवक्ता और विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि भाजपा चाहे कोई भी कार्ड खेले, इसका असर बिहार में नहीं होने वाला है। बिहार की जनता भाजपा के पहले से किए हुए वादों का हिसाब चाहती है।
जदयू ने बीजेपी पर कसा तंज
राजद बीजेपी के यादव कार्ड को बेअसर बता रही है। वहीं, दूसरी तरफ मोहन यादव के सीएम बनने पर जदयू ने भी तंज कसा है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि ‘खुद को राम भक्त कहने वाले माता सीता का अपमान करते हैं।
‘ ध्यान देने वाली बात ये है कि राम, रामचरित मानस और देवी दुर्गा पर राजद की ओर से आपतिजनक टिप्पणी पर मौन रहने वाली जदयू ने मां सीता को जगत जननी बताया है।
बीजेपी को फर्जी सनातनी बताते हुए नीरज कुमार ने कहा कि मां सीता पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों को बीजेपी सम्मान देती है। जेडीयू के आरोप पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि एनडीए में सभी का सम्मान होता है, चाहे वो किसी जाति या वर्ग का हो।
बीजेपी ने जातीय समीकरण तोड़ा!
माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मध्य प्रदेश में यादव सीएम बनकर बीजेपी ने यूपी-बिहार को साधने की कोशिश की है।
इस दांव से बीजेपी ने सेकुलर क्षेत्रीय पार्टियों का जातीय समीकरण का खेल बिगाड़ दिया है। बताते चलें, जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट में 14 फीसदी आई है।
अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि बीजेपी को इस चाल का फायदा बिहार और उत्तर प्रदेश में कितना होता है।