कांग्रेस से विधायकों को तोड़कर संख्या बल मजबूत कर रही भाजपा

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भोपाल।(www.arya-tv.com)  मध्य प्रदेश में सत्ता संघर्ष के उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। कोई किसी को कम नहीं आंक रहा है। नजीता जो भी आए, लेकिन यह उपचुनाव सत्ता का भविष्य तय करेगा। कांग्रेस विधायकों के भाजपा में जाने से विधानसभा में सदस्य संख्या भले ही भाजपा को बढ़त दिलाती दिख रही हो, लेकिन कांग्रेस अपनी जीत को लेकर जिस प्रकार दावा कर रही है, उससे मुकाबला एकतरफा कतई नहीं है।

विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले को कांग्रेस जनता के बीच मजबूती से लेकर जा रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि उसकी बात पर जनता ने ध्यान दिया तो नतीजे अनुमान से अलग भी हो सकते हैं। बसपा, सपा और निर्दलीय हमेशा से सत्ता के साथ रहे हैं। ऐसे में इनका समर्थन बहुमत के आंकड़े के साथ होगा।

कुल मिलाकर चुनावी जमीन उपचुनाव के लिए मतदान का दिन करीब आते-आते तंग होती जा रही है। राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से पहले गए 22 विधायकों के कारण कमल नाथ सरकार गिरी थी। उपचुनाव के बीच राहुल ङ्क्षसह लोधी को कांग्रेस से अलग कर भाजपा ने तोडफ़ोड़ का काम जारी रखा है।

ताजा हालात में विधानसभा में सदस्य संख्या 229 रह जाएगी और कांग्रेस के सामने सभी 28 सीटें जीतने की चुनौती है। सामान्य तौर पर यह बहुत आसान स्थिति नहीं है, लेकिन कांग्रेस इसी मुद्दे को जनता के सामने रखकर यह बताने में जुटी है कि उन्होंने जिसे वोट दिया था, उसने पार्टी बदलकर जनता के वोट का अपमान किया। कमल नाथ ने पिछले दिनों पार्टी की बैठक में इस मुद्दे को लेकर हमलावर रहने को कहा है।

उधर, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय खामोश हैं। इतिहास रहा है कि यह दल सत्ता के साथ जाते हैं। उपचुनाव में भाजपा को बहुमत का आंकड़ा मिल जाता है और कांग्रेस जादुई आंकड़े के आसपास भी आई तो एक बार फिर यह दल महत्वपूर्ण हो जाएंगे और नए सिरे से जमावट की जाएगी। कांग्रेस के खरीद-फरोख्त के आरोपों को लेकर भाजपा यह कहकर पलटवार कर रही है कि कांग्रेस में रहते हुए विधायक विकास कार्य नहीं करवा पा रहे थे। इससे जनता के बीच उनकी छवि खराब हो रही थी। जनहितैषी योजनाओं को लागू करवाने की तड़प उन्हें भाजपा में ला रही है। अब यही उपचुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगा।