विपक्षी एकता से मुकाबला करने के लिए भाजपा तैयार, जानें क्या रहेगी 2024 की रणनीति

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(www.arya-tv.com) भाजपा ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जो एक्शन प्लान बनाया है वह व्यापक और गहराई लिए हुए है। भाजपा अभी से मानकर चल रही है कि उसके खिलाफ विपी दल एक उम्मीदवार उतार सकती है। पार्टी अपनी रणनीति भी एकजुट विपक्ष के खिलाफ ही बना रही है।

हाल ही में चुनावी रणनीति बनाने और संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने दो दिनों में लगभग 12 घंटे की मैराथन बैठकें की। खास बात यह है कि अनेक विधानसभा और लोकसभा चुनाव ने यह साबित किया है कि हिंदी बेल्ट और पश्चिम भारत यानी गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र में एकजुट विपक्ष भी भाजपा को पराजित करने की स्थिति में नहीं है।

पार्टी मतदान केंद्र प्रबंधन के अलावा पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं का भी सहारा ले रही है। भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेटवर्क और संघ परिवार के अनुषांगिक संगठनों के प्रभाव का भी लाभ मिलता है। इन संगठनों के पास कार्यकर्ताओं की ऐसी फौज है जो बिना किसी लालच के मिशनरी स्पिरिट से काम करती है।

बड़े विपक्षी दल भले ही एकजुट हो जाएं लेकिन भाजपा छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर जैसे बिहार में वह लोक  जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा के दल के साथ तो उत्तर प्रदेश में वह अपना दल के साथ जातीय समीकरण बैठाएगी।

भाजपा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में तुरुप का इक्का है, जो विपरीत परिस्थिति के अनुकूल माहौल में तब्दील कर सकता है। कर्नाटक में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे कर चुनाव लडऩा भाजपा के लिए फायदेमंद हो रहा है।

भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव का मत प्रतिशत कायम रखने में सफल रही है। यह ध्यान रखना होगा कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता 2019 के मुकाबले जरा भी कम नहीं हुई है। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना, डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान योजना जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर चुनावी इतिहास में पहली बार लाभार्थी वोट बैंक बनाया है। यह मजबूत वोट बैंक केवल प्रधानमंत्री के नाम पर वोट करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा आक्रामक रणनीति के साथ चुनाव लड़ती है। भाजपा का पूरा संगठन मेगा इलेक्शन मशीन के रूप में तब्दील हो चुका है जिसका जवाब विपक्ष के किसी भी दल के पास नहीं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों और सेफालॉजिस्टों को याद होगा कि 90 के दशक में जब पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 182 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की थी, तब राजनीतिक पंडित यह कहते थे कि यह पार्टी का अधिकतम आंकड़ा है।

इसके ऊपर पार्टी का ग्राफ नहीं जाएगा लेकिन भाजपा ने 2014 में 282 और 2019 में 303 सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेषकों को अचंभित कर दिया था। जाहिर है भाजपा की समस्त तैयारी इस बात को ध्यान में रखते हुए है कि विपक्षी दलों में एकता हो सकती है और उसका मुकाबला लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के एक प्रत्याशी से हो सकता है।