‘मोहन’ से पहले UP की मिट्टी के वह ‘यादव’, जो बने मध्य प्रदेश के CM… जरा ‘गौर’ से समझिए सियासी किस्सा

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(www.arya-tv.com) मध्य प्रदेश में बहुमत से सत्ता में वापसी करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बड़ा सियासी संदेश दिया है। 3 बार के विधायक मोहन यादव (Mohan Yadav) को राज्य की कमान सौंप दी गई है। इस अप्रत्याशित फैसले से बीजेपी ने अहम राजनीतिक समीकरण तय किए हैं।

उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य होने की वजह से लोकसभा चुनाव से पहले यह संदेश और भी अहम साबित हो जाता है। हालांकि मोहन से पहले भी एक यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह भी उत्तर प्रदेश की धरती से निकलकर गए।

हम यहां बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर (Babulal Gaur) की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ सफर शुरू कर बीजेपी के दिग्गज नेताओं की कैटिगरी में नाम शुमार करने वाले बाबूलाल गौर मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले और यादव बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले नेता थे। उनके मध्य प्रदेश तक जाने और यादव से गौर हो जाने के पीछे भी दिलचस्प किस्सा है।

प्रतापगढ़ में पहलवान के बेटे

उत्तर प्रदेश से प्रतापगढ़ जिले के नौगीर गांव में 2 जून 1930 को बाबूलाल गौर का जन्म हुआ था। उनके पिता रामप्रसाद यादव पहलवानी करते थे। जीवनयापन के लिए उन्होंने यूपी से मध्य प्रदेश की तरफ रूख किया था। वह भोपाल की पुट्ठा मिल में नौकरी के साथ पढ़ाई करते रहे।

उनका नाम बाबूराम यादव था। नाम बदलने का किस्सा स्कूल से जुड़ा हुआ है। प्राइमरी क्लास में पढ़ाई के दौरान उनकी क्लास में बाबूराम यादव नाम के 2-3 बच्चे थे। शिक्षक इसको लेकर दुविधा में रहते थे।

यादव से गौर बनने का किस्सा

बात दूसरी या तीसरी कक्षा की है, जब एक दिन टीचर बोले कि जो भी मेरी बात को गौर से सुनेगा और सवाल का सही से जवाब देगा, उसका नाम बाबूराम गौर कर दिया जाएगा।

इसके बाद सही जवाब देने पर उनका नाम बाबूराम गौर हो गया। वह भोपाल गए तो लोगों ने बाबूराम को बाबूलाल कहकर बुलाना शुरू किया। इस वजह से बाद में उन्होंने बाबूलाल गौर ही नाम रख लिया।

मजदूर यूनियन और संघ का सफर

बाबूलाल गौर ने किशोरावस्था से ही संघ की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था। मिल में नौकरी के दौरान वह ट्रेड यूनियन में भी सक्रिय हुए। वह आपातकाल के दौरान करीब डेढ़ साल तक जेल में भी रहे।

1974 में वह भोपाल दक्षिण की सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार जीतकर विधायक निर्वाचित हुए। 1977 में गोविंदपुरा सीट से जीते और फिर लगातार 8 बार तक विधायक निर्वाचित होते रहे।

सवा साल तक मध्य प्रदेश के CM रहे

बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रह चुके थे। इसके बाद अगस्त 2004 से लेकर नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। लंबी बीमारी के बाद अगस्त 2019 में उन्होंने भोपाल के नर्मदा अस्पताल में अंतिम सांस ली।

एक वॉरंट से सीएम की कुर्सी पर बैठे

मध्य प्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उमा भारती की अगुआई में बड़ी जीत हासिल की। उमा मुख्यमंत्री बनीं लेकिन फिर अचानक 10 साल पुराने सांप्रदायिक तनाव के एक मामले ने ऐसे हालात पैदा किए कि उमा भारती को कुर्सी छोड़नी पड़ी।

उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ। आलाकमान के फैसले के बाद बाबूलाल गौर ने 74 साल की उम्र में राज्य के नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली।